अयोध्या मामले में फैसला सुनाने वाले पांचों न्यायाधीशों की सुरक्षा बढ़ाई गई, कोई विशिष्ट खतरा नहीं
बेहद संवेदनशील अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के पांचों न्यायाधीशों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। रविवार को इसकी जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि न्यायाधीशों की सुरक्षा को बढ़ाते हुए अतिरिक्ता बलों की तैनाती, बैरीकेड और एस्कॉर्ट टीमें बनाने जैसे कदम उठाए गए हैं। सुरक्षा को एहतियात के तौर पर बढ़ाया गया है और न्यायाधीशों को खतरे को लेकर कोई विशेष सूचना या अलर्ट नहीं है।
इन पांच न्यायाधीशों ने सुनाया था फैसला
बता दें कि अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट बेंच में मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई, न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े, न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूढ़, न्यायाधीश अशोक भूषण और न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर शामिल थे। न्यायाधीश बोबड़े देश के अगले मुख्य न्यायाधीश भी होंगे।
न्यायाधीशों के घरों पर अतिरिक्त बलों की तैनाती
इन पांचों न्यायाधीशों की सुरक्षा बढ़ाए जाने की जानकारी देते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "माननीय न्यायाधीशों की सुरक्षा एहतियात के तौर पर बढ़ाई गई है। हालांकि किसी भी न्यायाधीश को कोई भी विशिष्ट खतरा नहीं है।" सुरक्षा की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि न्यायाधीशों के घरों पर अतिरिक्त बलों की तैनाती कर दी गई है और उनके घर की तरफ जाने वाली सड़कों पर कुछ बैरिकेड लगाए गए हैं।
एस्कॉर्ट टीमों में होंगे हथियारबंद गार्ड्स, न्यायाधीशों के वाहनों के साथ चलेंगे
इसके अलावा कुछ एस्कॉर्ट टीमें भी बनाई गई हैं जो हर न्यायाधीश के वाहन के साथ चलेंगे। इन टीमों में हथियारबंद गार्ड्स होंगे। एक अन्य अधिकारी ने भी एहतियात के तौर पर न्यायाधीशों की सुरक्षा बढ़ाए जाने की पुष्टि की है।
अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया है?
अयोध्या विवाद में रामलला विराजमान के हक में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ जमीन को मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट के हवाले करने का आदेश दिया है। वहीं उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या की ही किसी प्रमुख जगह पर पांच एकड़ जमीन दी जाएगी। ट्रस्ट बनाने और मस्जिद निर्माण के लिए जमीन देने के लिए केंद्र सरकार को तीन-चार महीने का समय दिया गया है।
26 नवंबर को बैठक में पांच एकड़ जमीन पर फैसला लेगा सुन्नी वक्फ बोर्ड
उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन स्वीकार करने को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है और 26 नवंबर को होने वाले बोर्ड की बैठक में इस पर फैसला लिया जा सकता है। बोर्ड के चेयरमैन जफर फारूकी ने इस बारे में बात करते हुए बताया, "बोर्ड की बैठक 26 नवंबर को होगी जिसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दी गई पांच एकड़ जमीन को स्वीकार करने के बारे में फैसला लिया जाएगा।"
सुप्रीम कोर्ट ने विशेष शक्तियों का प्रयोग करके दी है मस्जिद के लिए जमीन
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत उसे प्राप्त विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए मस्जिद के लिए ये जमीन दी है। ये अनुच्छेद सुप्रीम कोर्ट को किसी मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए विशेष आदेश देने की शक्ति प्रदान करता है। कोर्ट ने अपने फैसले में माना है कि मुस्लिमों ने मस्जिद को त्यागा नहीं था और 6 दिसंबर 1992 को इसके विध्वंस के मद्देनजर अब मस्जिद के लिए जमीन दी गई है।