केंद्रीय कैबिनेट ने दी मजदूरों को सस्ते किराए पर घर प्रदान करने की योजना को मंजूरी
क्या है खबर?
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को प्रवासी मजदूरों को कम किराए में मकान प्रदान करने से संबंधित योजना को मंजूरी दी। अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स (ARHC) नामक ये योजना केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना का हिस्सा होगी और इस पर कुल 600 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
इस योजना के तहत लॉकडाउन से प्रभावित हुए लगभग तीन लाख प्रवासी मजदूरों और शहरी गरीबों को शहरों में सस्ते किराए पर मकान प्रदान किया जाएगा।
योजना
पहले चरण में मजदूरों को दिए जाएंगे पहले से खाली पड़े सरकारी मकान
ARHC योजना को दो हिस्सों में बांटा गया है। सबसे पहले सरकारी पैसे से बने और खाली पड़े आवासीय परिसरों को ARHC में बदला जाएगा और उन्हें 25 साल के लिए सस्ते किराए पर मजदूरों और गरीबों को प्रदान किया जाएगा।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अभी ऐसे 1.2 लाख सरकारी आवास खाली हैं, जिन्हें पहले चल चुकी या चल रही योजनाओं के तहत बनाया गया था। इनमें से सबसे अधिक 35,000 मकान महाराष्ट्र और 30,000 मकान दिल्ली में खाली हैं।
जानकारी
मकानों की मरम्मत कराने और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए सरकार प्रदान करेगी पैसा
खाली पड़े इन मकानों की मरम्मत करने और पानी, स्वच्छता और सीवर आदि संबंधी ढांचा तैयार करने के लिए फंड जारी किया जाएगा और राज्य सरकारें बोली लगाकर ये फंड हासिल कर सकेंगी। 25 साल बाद फिर से यही प्रक्रिया दोहराई जाएगी।
दूसरा तरीका
अपनी जमीन पर ARHC बनाने के लिए कंपनियों को दी जाएगी छूट
योजना के दूसरे हिस्से में सरकारी और निजी कंपनियों को अपनी जमीन पर 25 साल के लिए ARHC बनाने के लिए कई तरह की छूटें दी जाएंगी।
सरकार का मानना है कि इससे निवेश के नए मौके पैदा होंगे और किराए के मकानों के क्षेत्र में उद्यमियों को बढ़ावा मिलेगा। सरकार को इससे नई नौकरियां पैदा होने का भरोसा भी है।
बता दें कि 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज में इस योजना का ऐलान किया गया था।
लक्ष्य
इन लोगों को लाभ प्रदान करना योजना का लक्ष्य
मामले से संबंधित एक अधिकारी ने 'हिंदुस्तान टाइम्स' से कहा, "बेहतर मौकों की तलाश में गांवों से शहर आने वाले और मैन्युफैक्चरिंग, स्वास्थ्य, निर्माण, होटलों और व्यावसायिक संगठनों में काम करने वाले कर्मचारियों, मजदूरों और छात्रों को इस योजना से लाभ मिलेगा।"
उन्होंने कहा, "काम के पास कम किराए में घर प्रदान करके और यात्रा के दौरान लगने वाले गैरजरूरी समय और प्रदूषण को कम करके ARHC शहरी इलाकों में एक नया तंत्र बनाएगा।"
बयान
किराया बचाने के लिए जान खतरे में डालते हैं मजदूर- अधिकारी
अधिकारी ने कहा, "कोरोना वायरस महामारी के कारण रोजगार के बेहतर मौकों के लिए गांवों और छोटे कस्बों से शहर आने वाले प्रवासी मजदूरों और शहरी गरीबों का उल्टा पलायन हुआ है। आमतौर पर किराया बचाने के लिए ये मजदूर झुग्गी-झोपड़ियों, अनाधिकृत कॉलोनियों और शहर के बाहरी इलाकों में रहते हैं। वे पैदल या साइकिल के जरिए काम पर पहुंचने के लिए बहुत समय बर्बाद करते हैं और अपनी जान जोखिम में डालते हैं।"