ओडिशा: बैलगाड़ी पर ससुराल पहुंची दुल्हन, किया खत्म हो रही परंपरा को पुनर्जीवित करने का प्रयास
पुरानी परंपराओं को पुनर्जीवित करने के लिए कई लोग काफी प्रयास करते हैं और ऐसी ही झलक ओडिशा के गंजम जिले में एक शादी के बाद देखने को मिली। यहां की रहने वाली सरिता बेहरा ने लोगों को राज्य की एक पुरानी परंपरा के बारे में शिक्षित किया है, जिसका आज शायद ही पालन किया जाता है। दरअसल, विदाई के दौरान सरिता बैलगाड़ी में अपने ससुराल पहुंची। आइए पूरी खबर जानें।
सोशल मीडिया यूजर्स कर रहे हैं प्रशंसा
यह मामला सामने आते ही सोशल मीडिया यूजर्स सरिता और उनके पति महेंद्र नायक की काफी प्रशंसा कर रहे हैं। इसका कारण है कि जहां आधुनिक दौर में लोग विदाई के लिए किसी लंबी कार या हेलिकॉप्टर का चुनाव कर रहे हैं, वहीं सरिता सजी-धजी बैलगाड़ी में बैठकर अपने ससुराल पहुंची है। इससे पहले महेंद्र घोड़े पर सवार होकर बारात में दुल्हन के घर पहुंचे थे। सरिता के इस कदम का उद्देश्य खत्म हो रही परंपरा को पुनर्जीवित करना था।
पारंपरिक तरीके से शादी करना चाहता थे सरिता और महेंद्र
सरिता और महेंद्र भुवनेश्वर में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं और दोनों ने जब शादी करने का फैसला किया तो निर्णय लिया कि वे सभी पारंपरिक तरीके अपनाएंगे। उन्होंने अपने परिवार को पहले ही बता दिया था कि उन्हें इस खास दिन के लिए वाहनों की जरूरत नहीं होगी और उनकी इच्छा का सम्मान करने के लिए उनके चाहने वालों ने योजना पर काम करना शुरू कर दिया।
महेंद्र ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर सजाई थी बैलगाड़ी
शादी से पहले महेंद्र और उसके दोस्तों ने बैलगाड़ी को बांस के हुड और फूलों से सजाया था, जिस तरह से पुराने समय में सजाया जाता था। इसके बाद शादी के दिन महेंद्र अपने घोड़े पर सवार होकर बनकटारा गांव से पतरापल्ली में सरिता के घर आया और शादी की रस्में संपन्न होने के बाद सरिता बैलगाड़ी में सवार होकर 4 किमी दूर महेंद्र के घर चली गई।
बुलडोजर में सवार होकर शादी के स्थल पर पहुंचा था दूल्हा
साल 2022 में मध्य प्रदेश के बैतूल में एक दूल्हा पारंपरिक 'घोड़ी' को छोड़कर एक बुलडोजर में अपने शादी के स्थल पर पहुंचा था। पेशे से सिविल इंजीनियर दूल्हा अपनी नौकरी के हिस्से के रूप में हर दिन बुलडोजर सहित निर्माण-संबंधी मशीनों के साथ काम कर रहा था। वह बुलडोजर चलाकर अपनी शादी की एंट्री को खास बनाना चाहता था। शादी बैतूल जिले की भैंसदेही तहसील के झल्लार गांव में हुई थी।