कोरोना संकट: अभिभावकों, डॉक्टरों और प्रोफेसरों ने की स्कूल खोलने की मांग, मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र
कोरोना संकट के कारण पिछले डेढ़ साल से स्कूल बंद हैं। अब थोड़े बेहतर होते हालातों को देखते हुए दिल्ली, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ अभिभावकों, प्रोफेसरों, डॉक्टरों और वकीलों ने अपने-अपने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर स्कूल खोलने की मांग की है। पत्र लिखने वालों में IIT दिल्ली, IIT बॉम्बे और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर भी शामिल हैं। इनका कहना है कि स्कूल बंद रहने के चलते बच्चों को बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है।
जल्द से जल्द स्कूल खोलने की मांग
TOI के अनुसार, मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्रों में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कोरोना संकट बना रहेगा और ऐसी स्थिति आनी मुश्किल है कि संक्रमण का एक भी मामला सामने न आए। इनका कहना है कि पढ़ाई से दूर रहने के साथ-साथ स्कूल बंद रहने से बच्चों में मानसिक तनाव बढ़ रहा है और उनकी लोगों से मिलने-जुलने की क्षमता और आत्मविश्वास भी कम हो रहा है। इन्होंने सरकारों से जल्द से जल्द स्कूल खोलने की मांग की है।
बढ़ रही है स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या- रमन
IIT बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर भास्करण रमन ने कहा कि कोरोना संकट के कारण एक अकादमिक सत्र पूरी तरह खराब हो चुका है। अगर एक साल और ऐसे ही चलता रहा तो यह आने वाली पीढी के साथ नाइंसाफी होगी। उन्होंने आगे कहा कि पहले ही कई राज्यों में बड़ी संख्या मे बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं। स्कूलों से यह ब्रेक देश को कई दशक पीछे धकेल देगा। हर वर्ग के बच्चे इससे प्रभावित हो रहे हैं।
पत्रों में क्या सुझाव दिए गए हैं?
पत्र लिखने वालों का सुझाव है कि चरणबद्ध तरीके से देशभर के स्कूल खोले जाएं। इनकी शुरुआत उन क्षेत्रों से हो सकती हैं, जहां टेस्ट पॉजिटिविटी रेट सबसे कम है। इनका सुझाव है कि बड़ी कक्षाओं से पहले छोटी कक्षाओं के लिए स्कूल खोलने की संभावनाएं तलाशी जाएं, स्कूल स्टाफ को वैक्सीनेशन में प्राथमिकता मिले और सारे बच्चों को एक साथ स्कूल में बुलाने की बजाय छात्रों के छोटे-छोटे समूहों को हफ्ते में दो बार स्कूल बुलाया जाए।
विशेषज्ञों का इस पर क्या कहना है?
महाराष्ट्र में बच्चों के लिए बनी कोविड टास्क फोर्स के सदस्य विजय येवले ने कहा कि विदेशों से भारत की स्थिति की तुलना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि वो बच्चों को हो रहे नुकसान की बात मानते हैं, लेकिन सरकारों के लिए स्कूल खोलने का फैसला लेना मुश्किल बना हुआ है। येवले ने कहा कि अभी राज्य में कोरोना संक्रमण की रफ्तार काबू में है, लेकिन तीसरी लहर के दौरान क्या होगा, यह नहीं कहा जा सकता।
संयुक्त राष्ट्र ने भी कही जल्द स्कूल खोलने की बात
संयुक्त राष्ट्र ने भी जल्द से जल्द स्कूल खोलने की मांग करते हुए कहा कि दुनियाभर में करीब 60 करोड़ बच्चों की शिक्षा दांव पर लगी हुई है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ के प्रवक्ता जेम्स एल्डर ने कहा कि वो सरकारों को आ रही मुश्किलों को समझते हैं, लेकिन स्कूल सबसे अंत में बंद और सबसे पहले खुलने चाहिए थे। बार और पबों को स्कूल से पहले खोलना बड़ी गलती है।
देश और दुनिया में क्या है संक्रमण की स्थिति?
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, दुनियाभर में अब तक लगभग 19.59 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, वहीं 41.86 लाख लोगों की मौत हुई है। सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका में 3.46 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और 6.12 लाख लोगों की मौत हुई है। अमेरिका के बाद भारत दूसरा सर्वाधिक प्रभावित देश है। यहां अब तक 3.15 करोड़ लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है और 4.22 लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।