दिल्ली: कोविड के पांच मरीजों में सामने आई मलाशय में खून की समस्या
दिल्ली में कोविड-19 के पांच मरीजों में मलाशय से खून आने की समस्या देखने को मिली है। ये देश में अपनी तरह के पहले मामले हैं और इन्होंने डॉक्टरों को चिंता में डाल दिया है। साइटोमेगालो वायरस (CMV) के ये मामले श्री गंगाराम अस्पताल में सामने आए हैं। अधिकारियों के अनुसार, इन मरीजों ने मल में खून आने और पेट में दर्द की शिकायत की थी। ये सभी मामले दूसरी लहर के दौरान सामने आए थे।
अप्रैल-मई के दौरान सामने आए थे मामले
श्री गंगाराम अस्पताल ने मंगलवार को बयान जारी करते हुए कहा, "अप्रैल-मई, 2021 में आई दूसरी लहर के दौरान हमने कोेविड-19 से पीड़ित ठीक-ठाक लोगों में CMV संक्रमण के पांच मामले देखे। इन मरीजों ने कोविड-19 का पता लगने के 20-30 दिन बाद मल में खून और पेट में दर्द की शिकायत की थी।" अस्पताल ने कहा कि इनमें से किसी मरीज का इम्युनिटी सिस्टम कमजोर नहीं था जिससे उन्हें ये संक्रमण होता।
30 से 70 साल तक के लोगों में सामने आए मामले
अस्पताल ने बताया कि ये सभी मामले 30 से 70 साल तक के लोगों में सामने आए थे। चार मरीजों ने मल में खून की शिकायत की, वहीं एक मरीज ने अंतड़ियों में रुकावट की शिकायत की। दो मरीज ऐसे रहे जिन्हें मल में बहुत ज्यादा खून आया और एक मरीज को तो आपतकालीन जीवनरक्षक सर्जरी की जरूरत पड़ी जिसमें उसकी कोलोन की एक साइड निकाल दी गई। तीन मरीजों का एंटीवायरल गैन्सिक्लोविर से सफल इलाज किया गया।
इम्युनिटी के कमजोर होने के कारण घेरता है CMV
अधिकारियों ने बताया कि कोविड संक्रमण और इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाले स्टेरॉयड्स से मरीज का इम्युन सिस्टम कमजोर हो जाता है और कई मौकापरस्त संक्रमण इसका फायदा उठा मरीज को घेर लेते हैं। CMV एक ऐसा ही संक्रमण है। यह वायरस 80-90 प्रतिशत भारतीय आबादी मेें पहले से ही मौजूद है, लेकिन इम्युनिटी के कारण ये बेअसर पड़ा रहता है। इम्युनटी कम होने पर ये वायरस सक्रिय हो जाता है।
जल्द पहचान और प्रभावी थैरेपी CMV के इलाज के लिए जरूरी
डॉक्टरों ने संक्रमण की जल्द पहचान और प्रभावी एंटीवायरल थैरेपी को कोविड मरीजों में CMV के इलाज के लिए जरूरी बताया है। अस्पताल के डॉक्टर प्रवीण शर्मा ने कहा, "ऐसे संदिग्ध मामलों में जल्दी डाइग्नोसिस और प्रभावी एंटीवायरल थैरेपी कई अनमोल जीवन बचा सकती है।"
कोविड मरीजों पर कहर बरपा रहे हैं ब्लैक फंगस जैसे संक्रमण
बता दें कि स्टेरॉयड्स के इस्तेमाल से इम्युनिटी सिस्टम के कमजोर होने के कारण अन्य कई मौकापरस्त संक्रमणों ने भी कोविड मरीजों को अपनी शिकार बनाया है। इनमें सबसे अधिक व्यापक और खतरनाक ब्लैक फंगस है जो अपने आप में एक अधिसूचित बीमारी बन गया है। इसके लगभग 50 प्रतिशत मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। इसके अलावा कोविड मरीजों में ग्रीन, येलो और व्हाइट फंगस के मामले भी देखने को मिले हैं।