सरकार से जुड़ा व्यक्ति राज्य चुनाव आयुक्त के रूप में काम नहीं कर सकता- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने देश में चुनावों की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को लेकर शुक्रवार को अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनावों की निष्पक्षता के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र व्यक्ति को इसकी जिम्मेदारी संभालनी चाहिए। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार से जुड़े या सरकार में कार्यरत व्यक्ति को किसी भी हाल में राज्य चुनाव आयुक्त के पद पर तैनात नहीं किया जा सकता है। यह पूरी तरह से संविधान के खिलाफ है।
गोवा सरकार ने दी थी हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती
दरअसल, गोवा में पांच नगरपालिकाओं में होने वाले निकाय चुनावों से पहले गोवा सरकार ने राज्य के विधि सचिव को राज्य चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया था और महिलाओं के लिए वार्ड आरक्षित नहीं किए थे। इसको लेकर हाई कोर्ट ने सरकार के इस रवैया को गैर कानूनी मानते हुए पांच नगरपालिकाओं में होने वाले चुनावों पर रोक लगा दी थी। इसके बाद गोवा सरकार हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
सरकार का कोई भी कर्मचारी चुनाव आयुक्त नियुक्त नहीं हो सकता- सुप्रीम कोर्ट
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस रोहिंटन एफ नरीमन और बीआर गवई की बेंच ने कहा कि केंद्र या राज्य सरकारों के कर्मचारी के तौर पर कार्यरत किसी व्यक्ति को राज्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता। सत्तारूढ़ दलों का उद्देश्य चुनाव आयोगों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना है। पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 और 144 दी गई अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए गोवा सरकार को यह निर्देश जारी किया।
अनुच्छेद 142 और 144 के तहत सुप्रीम कोर्ट को मिली है यह शक्ति
अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को किसी भी मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए अपीन समझ के अनुसार निर्देश जारी करने का अधिकार है। इसी तरह अनुच्छेद 144 के तहत सुप्रीम कोर्ट की सहायता के लिए सभी अधिकारियों को बाध्य किया गया है।
सरकारी अधिकारी को चुनाव आयुक्त बनाना है संविधान का मजाक- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग की आजादी से लोकतंत्र में कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। राज्य निर्वाचन आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार सरकारी अधिकारियों को सौंपना संविधान का मजाक बनाने के समान है। यह चिंता का विषय है कि सरकारी कर्मचारी नौकरी के दौरान ही गोवा में चुनाव आयोग का प्रभारी बना दिया गया। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयुक्तों को स्वतंत्र व्यक्ति होना चाहिए और वह किसी भी तरह से सरकार से जुड़ा नहीं होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी करने के निर्देश
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को राज्य चुनाव आयुक्त के पद पर स्वतंत्र व्यक्ति को तैनात करने के निर्देश दिए हैं। इसी तरह राज्य चुनाव आयोग को अगले 10 दिनों में राज्य में होने वाले निकाय चुनावों की अधिसूचना जारी करने तथा 30 अप्रैल तक मतदान प्रक्रिया को पूरा करने के भी निर्देश दिए हैं। बता दें कि सरकारी अधिकारी ने पंचायत चुनाव कराने के संबंध में उच्च न्यायालय के फैसले को पलटने का प्रयास किया था।