पश्चिम बंगाल: विरोधी पार्टियों के 107 विधायक भाजपा में होंगे शामिल, मुकुल रॉय ने किया दावा
भारतीय जनता पार्टी के नेता मुकुल रॉय ने शनिवार को दावा किया कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC) और CPI(M) के 107 विधायक भाजपा में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि सभी विधायक प्रदेश भाजपा नेतृत्व के संपर्क में हैं और पार्टी उनकी सूची बना रही है। हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि ये विधायक भाजपा में कब शामिल होंगे। बता दें कि भाजपा ने कर्नाटक और गोवा में भी विरोधी खेमे में उथल-पुथल मचा रखी है।
मुकुल रॉय ने कहा, शामिल होने वाले विधायकों की बनाई जा रही सूची
कुछ ऐसी है बंगाल विधानसभा की स्थिति
299 सदस्यीय पश्चिम बंगाल विधानसभा में ममता बनर्जी की TMC के सबसे अधिक 216 विधायक हैं। दूसरे नंबर पर काबिज कांग्रेस के 44 विधायक हैं, वहीं CPI(M) के पास 26 विधायक हैं। भाजपा के राज्य विधानसभा में मात्र 3 विधायक हैं। मुकुल रॉय ने ये भी नहीं बताया कि किस पार्टी के कितने विधायक भाजपा में शामिल होंगे। ऐसे में अगर 107 विधायक भाजपा में शामिल होते भी है, तो उनकी सदस्यता बनी रहेगी या नहीं, ये स्पष्ट नहीं है।
क्या कहता है दल-बदल विरोधी कानून?
दल-बदल विरोधी कानून के मुताबिक, अगर किसी पार्टी के एक-तिहाई से अधिक विधायक टूटकर अलग पार्टी बनाते हैं या दूसरी पार्टी में शामिल होते हैं, तभी उनकी सदस्यता बनी रहती है, वर्ना सदस्यता रद्द हो जाती है।
दल-बदल विरोधी कानून से बचने के लिए हर पार्टी से इतने विधायकों की जरूरत
इसका मतलब ये हुआ कि दल-बदल कानून से बचने और शामिल होने वाले विधायकों की सदस्यता रद्द होने से बचाने के लिए भाजपा को सत्तारूढ़ TMC के कम से कम 73 विधायकों को तोड़ना होगा। वहीं, कांग्रेस के मामले में 15 और CPI(M) के मामले में 9 विधायकों की जरूरत होगी। कांग्रेस और CPI(M) विधायकों को भाजपा अपेक्षाकृत आसानी से तोड़ सकती है, लेकिन ममता अपने किले को इतनी आसानी से ढहने देंगी, इसमें शक है।
लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद भाजपा में शामिल हुए थे TMC विधायक और पार्षद
इससे पहले लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद TMC के 3 विधायक और 50 से अधिक पार्षद भाजपा में शामिल हो चुके हैं। उस समय प्रदेश प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने इसे मात्र शुरूआत बताया था और 7 चरणों में पूरा होने की बात कही थी। मुकुल रॉय खुद पहले ममता के बेहद करीबी थे, लेकिन फिर 2017 में भाजपा में शामिल हो गए। उनके बेटे शुभ्रांशु रॉय भी भाजपा में शामिल होने वाले विधायकों में शामिल थे।
क्या लोकतंत्र के लिए ठीक है भाजपा का ये रवैया?
मुकुल रॉय के इस दावे के बाद देश की संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को लेकर भाजपा के रवैये पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। कर्नाटक और गोवा में भी इसका उदाहरण देखने को मिला है। पार्टी बदलने के इस खेल के पीछे कौन सी राजनीति काम करती है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गोवा में भाजपा में शामिल होने वाले 3 पूर्व-कांग्रेस विधायकों को कुछ ही दिनों के अंदर मंत्री बना दिया गया है।
लोकप्रिता के बावजूद ऐसा क्यों कर रही भाजपा?
सत्ता के दम पर विपक्षी सरकारों को अस्थिर करने और विधायकों को शामिल करने की भाजपा की राजनीति शुभ संकेत नहीं है। लोकसभा चुनाव से साफ है कि पार्टी जमीन पर बेहद लोकप्रिय है, इसलिए उसे चुनावी तरीके से सरकार बनाने पर ध्यान देना चाहिए।