सभी सरकारी बैंकों का नहीं हो रहा निजीकरण- सीतारमण
क्या है खबर?
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को लेकर केंद्र सरकार को बैंक कर्मचारियों और विपक्ष आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
निजीकरण के विरोध में सरकारी बैंकों के कर्मचारी दो दिवसीय हड़ताल पर हैं और मंगलवार को हड़ताल का दूसरा दिन था।
इसी बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकों का निजीकरण किया जा रहा है और सभी बैंकों का निजीकरण नहीं होगा।
पृष्ठभूमि
वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कही थी बैंकों के निजीकरण की बात
बता दें कि केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विनिवेश के जरिए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने की घोषणा की थी।
उस दौरान कहा गया था कि केंद्र सरकार कई सरकारी कंपनियों के साथ-साथ कुछ बैंकों के निजीकरण के जरिए इतनी राशि जुटाएगी।
वित्त मंत्री ने बताया था कि सरकार दो सरकारी बैंकों का निजीकरण करेगी और IDBI बैंक की पूरी तरह निजीकरण की प्रक्रिया प्रस्तावित है। हालांकि, सरकार ने बैंकों के नामों की घोषणा नहीं की थी।
विरोध
सरकार के फैसले के विरोध में बैंककर्मियों ने की दो दिवसीय हड़ताल
सरकार के इस फैसले के विरोध में यूनाइडेट फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) के तहत आने वाले नौ यूनियनों ने 15 और 16 मार्च को दो दिवसीय हड़ताल रखी थी। इससे करोड़ों रुपयों का कारोबार प्रभावित हुआ है।
AIBOC की महासचिव सौम्या दत्ता ने कहा कि हड़ताल में स्केल I, II और III के 100 प्रतिशत बैंककर्मी शामिल हुए हैं। यदि केंद्र सरकार कर्मचारियों की मांगों को नहीं मानेगी तो किसान आंदोलन की तरह बैंकों की भी अनिश्चतकालीन हड़ताल होगी।
सफाई
वित्त मंत्री ने सरकार के फैसले को लेकर दी सफाई
केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के फैसलों की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि देश में कुछ बैंक अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं तो कुछ ठीक-ठाक, लेकिन कुछ बैंक संकटग्रस्त हैं और ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे बैंकों की जरूरत है जो उच्च स्तर के हों। बैंकों का मर्जर भी इसलिए किया जा रहा है ताकि बड़े बैंक निकलें और ग्राहकों की जरूरतों को पूरा कर सकें।
राहत
सभी सरकारी बैंकों का नहीं हो रहा निजीकरण- वित्त मंत्री
वित्त मंत्री ने कहा कि सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण नहीं हो रहा है। केवल उन बैंकों की पहचान की गई है जो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं और पूंजी नहीं जुटा पा रहे हैं।
उन्होंने कहा जिन बैंकों के निजीकरण की संभावना है, उनके साथ सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि वो काम करते रहे और कर्मचारी और ग्राहकों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाए। कमजोर बैंकों को मजबूती देने के लिए ही निजीकरण है।
भरोसा
वित्त मंत्री ने दिया कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखने का भरोसा
सीतारमण ने कहा कि यह मानना सही नहीं कि सभी बैंक बेचे जाएंगे और वह निजी क्षेत्र में चले जाएंगे। सरकार सालों से इन बैंकों में काम कर रहे कर्मचारियों के हितों का पूरा ध्यान रखेगी। उनका वेतन, स्केल, पेंशन सभी चीजों का ध्यान रखा जाएगा।
उन्होंने कहा सेक्टर चाहे कोई भी हो, विनिवेश वाली हर यूनिट के साथ इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि वह अर्थव्यवस्था में सहयोग कर सकें। संकटग्रस्त यूनिट्स को मजबूत बनाया जाएगा।