बैंक कर्मचारियों ने दी किसान आंदोलन की तरह अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी
क्या है खबर?
देश के दो बैंकों के निजीकरण प्रस्ताव के खिलाफ यूनाइडेट फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) के तहत नौ यूनियन की दो दिवसीय हड़ताल मंगलवार को भी जारी रही।
इसके कारण बैंकों में पैसा जमा कराने, निकालने, चेक क्लीयरेंस और प्रेषण जैसी कई बैंकिंग सेवाएं पूरी तरह से प्रभावित रही।
इस दौरान ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (AIBOC) ने मांगे पूरी नहीं किए जाने पर किसान आंदोलन की तरह अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी भी दी है।
प्रकरण
सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ हड़ताल पर हैं बैंक कर्मचारी
बता दें कि केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विनिवेश के ज़रिए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने की घोषणा की थी। उस दौरान कहा गया था कि केंद्र सरकार कई सरकारी कंपनियों के साथ-साथ कुछ बैंकों के निजीकरण के जरिए इतनी राशि जुटाएगी।
वित्त मंत्री ने बताया था कि सरकार दो सरकारी बैंकों का निजीकरण करेगी और IDBI बैंक की पूरी तरह निजीकरण की प्रक्रिया प्रस्तावित है।
बैंक यूनियनों ने इसके खिलाफ ही हड़ताल का आह्वान किया था।
जानकारी
हड़ताल में शामिल हैं ये बैंक यूनियंस
UFBU के सदस्यों में ऑल इंडिया बैंक एम्पलाॉइज एसोसिएशन (AIBEA), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉन्फेडेरेशन (AIBOC), नेशनल कॉन्फेडेरेशन ऑफ बैंक एम्पलॉइज (NCBE), ऑल बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (AIBOA) और बैंक एम्पलॉइज कॉन्फेडेरेशन ऑफ इंडिया (BEFI) शामिल हैं। हड़ताल में इन सभी यूनियंस के कर्मचारी शामिल हैं।
बयान
मांगे नहीं मानने पर होगी अनिश्चितकालीन हड़ताल- दत्ता
AIBOC की महासचिव सौम्या दत्ता ने कहा कि हड़ताल में स्केल I, II और III के 100 प्रतिशत बैंककर्मी शामिल हुए हैं। यदि केंद्र सरकार कर्मचारियों की मांगों को नहीं मानेगी तो किसान आंदोलन की तरह बैंकों की भी अनिश्चतकालीन हड़ताल होगी।
उन्होंने कहा कि हड़ताल के दौरान कर्मचारियों ने देशभर में रैलिया निकालकर धरना प्रदर्शन किया है। बैंक करोड़ों लोगों से जुड़े हैं और वह हड़ताल के जरिए लोगों को सरकार की बीमार नीतियों से अवगत करा रहे हैं।
समाधान
बैंकों का निजीकरण करना नहीं है स्थाई समाधान- AIBEA
AIBEA का कहना है कि सरकारी बैंकों का निजीकरण करना कोई स्थाई समाधान नहीं है। वर्तमान में सभी बैंक लाभ कमा रहे हैं, लेकिन ऋणों का समय पर भुगतान नहीं होने से परेशानी है।
यूनियन ने कहा यदि सरकार बैंकों का निजीकरण करती है तो केवल बड़े कॉर्पोरेट और व्यापारिक घराने ही इन्हें खरीदेंगे। निजी कंपनियां बैंकों में डिफॉल्टर है तो क्या सरकार उन्हीं को बैंक बेचना चाह रही है? सरकार को निजीकरण की जगह बैंकों की मदद करनी चाहिए।
हालत
ATM खाली होने से लोगों को हुई खासी परेशानी
बैंकों की हड़ताल के कारण जहां पैसा जमा कराने, निकालने, चेक क्लीयरेंस और प्रेषण जैसी कई बैंकिंग सेवाएं प्रभावित रहीं, वहीं कई इलाकों में ATM में पैसा खत्म हो गया। इससे लोगों को नकदी के लिए खासी परेशानी झेलनी पड़ी।
इसी तरह अधिकतर उपभोक्ताओं ने इंटरनेट बैंकिंग के जरिए अपने काम निपटाए, लेकिन ग्रामीण इलाकों में लोगों को खासी दिक्कत रही।
हड़ताल के कारण सोमवार को 16,500 करोड़ रुपये के 2.01 करोड़ चेक क्लियर नहीं पाए।