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    आगरा: पारस अस्पताल को क्लीन चिट, समिति ने कहा- मॉक ड्रिल के कारण नहीं हुई मौतें
    आगरा के पारस अस्पताल को क्लीन चिट

    आगरा: पारस अस्पताल को क्लीन चिट, समिति ने कहा- मॉक ड्रिल के कारण नहीं हुई मौतें

    लेखन प्रमोद कुमार
    Jun 19, 2021
    10:30 am

    क्या है खबर?

    पिछले दिनों आगरा का पारस अस्पताल 'मॉक ड्रिल के लिए ऑक्सीजन आपूर्ति बंद' करने को लेकर सुर्खियों में आया था। अस्पताल में भर्ती कई कोरोना मरीजों की मौत के पीछे 'मॉक ड्रिल' को वजह बताई गई थी।

    अब इस घटना की जांच कर रही समिति ने अस्पताल को क्लीन चिट दे दी है। समिति का कहना है कि अस्पताल में हुई कोई भी मौत 'मॉक ड्रिल' से जुड़ी हुई नहीं है।

    आइये, पूरी खबर जानते हैं।

    पृष्ठभूमि

    क्या है मामला?

    इसी महीने पारस अस्पताल के मालिक का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसमें वह कह रहा था कि अस्पताल ने 26 अप्रैल को 'मॉक ड्रिल' के तौर पर पांच मिनट ऑक्सीजन आपूर्ति बंद कर दी थी, जिसके बाद कई मरीज मर गए।

    अस्पताल ने ऐसा इसलिए किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन मरीज बचेगा और कौन नहीं।

    घटना पर विवाद बढ़ने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इसकी जांच के आदेश दिए थे।

    जांच

    जांच समिति ने क्या कहा है?

    जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला है कि अस्पताल में हुई 16 मौतों में से कोई भी 'मॉक ड्रिल' से जुड़ी हुई नहीं है। इन मरीजों की गंभीर बीमारी के चलते मौतें हुई हैं।

    समिति ने कहा है कि 16 में से 14 मरीजों को कोरोना संक्रमण के साथ-साथ दूसरी बीमारियां भी थीं, जबकि बाकी दो मरीजों में संक्रमण काफी बढ़ चुका था। इन सभी मरीजों का कोविड प्रोटोकॉल के तहत इलाज चल रहा था।

    जांच

    मृतकों के परिवारों की शिकायतें नहीं की गई शामिल

    समिति ने कहा कि सबूतों की जांच करने पर पता चला है कि किसी भी मरीज की ऑक्सीजन आपूर्ति बंद नहीं की गई थी। मौतों के पीछे का कारण गंभीर संक्रमण के साथ-साथ दूसरी बीमारियां हैं। समिति का कहना है कि अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध थी।

    NDTV के अनुसार, अस्पताल में जान गंवाने वाले 16 लोगों में से सात के परिवारों की तरफ से की गई शिकायतों को जांच रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है।

    जांच

    समिति ने कहा- अस्पताल में मौजूद थी पर्याप्त ऑक्सीजन

    समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच अधिकारियों ने पाया कि 25 अप्रैल को अस्पताल में 149 ऑक्सीजन सिलेंडर भेजे गए, जबकि 20 सिलेंडर रिजर्व में रखे गए थे। अगले दिन यानी 26 अप्रैल को 121 सिलेंडर भेजे गए और 15 रिजर्व में थे।

    समिति ने पारस अस्पताल के मालिक अरिंजय जैन के हवाले से लिखा है कि यहां भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए ऑक्सीजन का यह स्टॉक पर्याप्त था।

    जानकारी

    समिति में ये सदस्य थे शामिल

    सरकार के आदेशों के बाद गठित की गई इस जांच समिति के तीन सदस्य एसएन मेडिकल कॉलेज से थे। इनमें एनस्थेसिया विभाग के प्रमुख डॉ त्रिलोक चंद्र पीपल, मेडिसीन विभाग के प्रमुख डॉ बलवीर सिंह और फॉरेंसिक विभाग से डॉक रिचा गुप्ता शामिल थे। आगरा के अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ पीके शर्मा समिति के चौथे सदस्य थे।

    बता दें कि जिला प्रशासन ने महामारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर अस्पताल को सील कर दिया है।

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