
क्या कोरोना के नए स्ट्रेन के खिलाफ भी सुरक्षित साबित होंगी वैक्सीन्स?
क्या है खबर?
यूनाइटेड किंगडम (UK) में कोरोना का नया स्ट्रेन मिलने के बाद कई देशों ने यहां से आने वाले लोगों के लिए अपने दरवाजे बंद कर लिए हैं।
इस स्ट्रेन को UI - 202012/01 और B.1.1.7 नाम से जाना जा रहा है। नया स्ट्रेन पुराने की तुलना में तेजी से फैलता है।
इस सब के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या कोरोना वायरस के लिए बनी वैक्सीन्स इस नए स्ट्रेन के खिलाफ भी कारगर साबित होंगी?
कोरोना वायरस
राहत भरा है सवाल का जवाब
नया स्ट्रेन पाये जाने के बाद पूछे जा रहे सबसे बड़े सवाल का जवाब राहत भरा है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस के लिए बनी वैक्सीन्स नए स्ट्रेन के खिलाफ भी कारगर होंगी।
अभी तक उपलब्ध हुईं फाइजर, मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन वायरस के जिन हिस्सों पर हमला करती हैं, उनमें बहुत बदलाव नहीं देखा गया है।
ऐसे में वैक्सीन के इस नए स्ट्रेन के खिलाफ सुरक्षित होने की पूरी उम्मीद है।
बदलाव
पूरी तरह नहीं बदला है कोरोना वायरस का रूप
कोरोना वायरस टेस्टिंग से जुड़ी कंपनी मेडिक टेस्टिंग की डॉक्टर ओलिविया जेपितोव्स्की ने फोर्ब्स से बात करते हुए कहा कि वैक्सीन कोरोना वायरस फैलाने वाले SARS-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन के प्रति इम्युन सिस्टम में सुरक्षा कवच बना देती है। नए स्ट्रेन के कारण वायरस में 17 बदलाव हुए हैं, जिनमें से आठ ऐसे हैं, जो स्पाइक प्रोटीन की पहचान करने वाले जीन पर असर डालते हैं।
इस लिहाज से देखा जाए तो वायरस पूरी तरह नहीं बदला है।
कोरोना वायरस
बदलाव से वैक्सीन की सुरक्षा पर नहीं पड़ेगा ज्यादा असर
वहीं केंट यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ बायोसाइंस में प्रोफेसर मार्टिन मिकायलस ने कहा कि वैक्सीन की मदद से शरीर में बनने वालीं एंटीबॉडीज वायरस के कई हिस्सों पर वार करती है। इसलिए ऐसा माना जा सकता है कि नए बदलाव से वैक्सीन की कारगरता पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
हालांकि, वो साथ ही यह भी कहते हैं कि इस सवाल के जवाब के लिए अभी और अध्ययन और समय की जरूरत है।
तकनीक
जरूरत पड़ने पर वैक्सीन में भी बदलाव हो सकते हैं
जब वायरस बदल जाता है तो इस बात की आशंका रहती है कि इंसान का इम्युन सिस्टम उसकी पहचान करना बंद कर देगा।
इस कारण वैक्सीन की मदद से मिली सुरक्षा कमजोर हो जाती है, लेकिन इसका भी एक समाधान है।
दरअसल, कंपनियां कुछ जरूरतों के हिसाब से अपनी वैक्सीन में कुछ बदलाव कर सकती हैं। इसके लिए बुखार की वैक्सीन का उदाहरण लिया जा सकता है, जिसमें नए-नए स्ट्रेन के लिए कई बदलाव हो चुके हैं।
बयान
फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन में बदलाव आसान
जानकार यह भी कहते हैं फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन 'mRNA' तकनीक से बनी है, जिसे नए स्ट्रेन के हिसाब से ढालना आसान होगा। बता दें कि यह बेहद नई तकनीक है। इसकी मदद से फाइजर ने रिकॉर्ड समय में वैक्सीन तैयार कर ली है।
कोरोना वायरस
वायरस में बदलाव आना बहुत सामान्य
मेडिक टेस्टिंग के ही डॉक्टर डेविस थॉम्पसन कहते हैं कि वायरस में बदलाव आना बहुत सामान्य है और SARS-CoV-2 में भी ऐसे बदलाव की संभावना थी।
वायरस हर समय बदलते हैं। कई बार नए स्ट्रेन बिना अपना असर दिखाए निष्क्रिय हो जाते हैं तो कई बार वो वायरस के व्यवहार में बदलाव लाए बिना फैलते रहते हैं। कम ही बार ऐसा होता है कि नए स्ट्रेन की वजह से वायरस और उसके फैलने की तरीकेे में बड़ा बदलाव देखा जाए।
अलर्ट
भविष्य में भी और बदल सकता है वायरस
वेलकम ट्रस्ट के डॉक्टर जेरेमी फेरार भी इस बात से सहमत हैं कि नए स्ट्रेन से वैक्सीन द्वारा दी जा रही सुरक्षा पर कोई असर पड़ेगा, लेकिन वो इसके लिए सावधानी बरतने की भी बात कहते हैं।
फेरार कहते हैं कि इस मौके पर ऐसे कोई संकेत नहीं है कि वायरस के खिलाफ मौजूदा इलाज या वैक्सीन काम नहीं करेगी, लेकिन यह बदलाव वायरस के आने वाले समय में भी बदलने की शक्ति को दिखाता है।