भारत में नौ कोरोना वैक्सीन पर चल रहा काम, जनवरी से वैक्सीनेशन शुरू होने की उम्मीद
क्या है खबर?
भारत में तीन कंपनियों ने अपनी कोरोना वैक्सीन के आपात इस्तेमाल के लिए आवेदन किया है। इन्हें मंजूरी मिलते ही भारत में वैक्सीनेशन (टीकाकरण) शुरू हो सकता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने उम्मीद जताई कि अगले महीने भारत में वैक्सीनेशन का काम शुरू हो जाएगा।
फिलहाल भारत में कुल नौ कोरोना वायरस वैक्सीन्स पर काम चल रहा है। इनमें से कुछ क्लिनिकल ट्रायल और कुछ प्री क्लिनिकल ट्रायल के दौर में हैं।
आइये, इनके बारे में जानते हैं।
कोरोना वैक्सीन
किन कंपनियों ने आपात इस्तेमाल की मंजूरी मांगी
फाइजर इंडिया, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) और भारत बायोटेक ने देश में अपनी वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी मांगी है।
फाइजर की वैक्सीन को अमेरिका समेत कई देशों में मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन भारत में इसके आवेदन पर फैसला होना बाकी है।
इसी तरह SII की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन के आवेदन पर भी फैसला अभी बाकी है। इन दोनों का भारत में क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है।
जानकारी
पूरी तरह भारत में तैयार हुई है कोविशील्ड
भारत बायोटेक की कोवैक्सिन पूरी तरह भारत में तैयार की गई है। वहीं कोविशील्ड को एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने तैयार किया है। SII ने भारत में इस वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल और उत्पादन के लिए एस्ट्राजेनेका से समझौता किया है।
कोरोना वैक्सीन
ये दो अन्य वैक्सीन्स भी ट्रायल के तीसरे चरण में
कोवैक्सिन और कोविशील्ड के अलावा फार्मा कंपनी जाइडस कैडिला हेल्थकेयर भी स्वदेशी वैक्सीन ZyCoV-D पर काम कर रही है।
बायोटेक्नोलॉजी विभाग के साथ मिलकर तैयार की जा रही इस वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल चल रहे हैं।
इसी तरह रूस में तैयार की गई स्पूतनिक-V भी भारत में ट्रायल के तीसरे दौर में पहुंच गई है। हैदराबाद स्थित डॉक्टर रेड्डीज लैब SII की तरह भारत में इस वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल कर रही है।
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तीसरे चरण के ट्रायल दहलीज पर पहूंची ये दो वैक्सीन्स
SII ने नोवावैक्स के साथ भी वैक्सीन तैयार करने के लिए समझौता किया है। दोनों कंपनियां मिलकर वैक्सीन पर काम कर रही हैं।
बीबीसी के अनुसार, कोरोना वायरस के टुकड़ों को आधार बनाकर इस वैक्सीन को तैयार किया जा रहा है। जल्द ही इसके तीसरे चरण का ट्रायल शुरू हो सकता है।
हैदराबाद स्थित फार्मा कंपनी बायोलॉजिकल ई अमेरिका के MIT द्वारा तैयार की गई कोरोना वैक्सीन का उत्पादन करेगी। फिलहाल इसके पहले और दूसरे चरण के ट्रायल जारी हैं।
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ये तीन वैक्सीन प्री क्लिनिकल ट्रायल में
पुणे स्थित जिनोवा कंपनी अमेरिका की HDT द्वारा तैयार वैक्सीन का उत्पादन कर रही है। इसके जानवरों पर ट्रायल समाप्त हो चुके हैं और अब यह इंसानी ट्रायल शुरू करने की योजना में है।
इसके अलावा थॉमस जेफरसन यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर तैयार की जा रही भारत बायोटेक की एक और वैक्सीन प्री क्लिनिकल दौर में पहुंच गई है।
इसी तरह अमेरिकी कंपनी ऑरोवैक्सीन के साथ तैयार की जा रही ऑरोबिन्दो फार्मा की वैक्सीन अभी बिल्कुल शुरुआती चरण में है।
इस्तेमाल की मंजूरी
क्या होती है वैक्सीन को हरी झंडी मिलने की प्रक्रिया?
किसी भी वैक्सीन को इस्तेमाल की मंजूरी पाने के लिए इंसानी ट्रायल के तीन चरणों को सफलतापूर्वक पार करना होता है।
जानवरों पर ट्रायल के बाद इंसानी ट्रायल की मंंजूरी मिलती है। इसमें हजारों की संख्या में लोगों को खुराक देेकर वैक्सीन के प्रभाव और सुरक्षा को जांचा जाता है।
इसके बाद अगर वैक्सीन के नतीजे संतोषजनक मिलते हैं तो इसे इस्तेमाल की हरी झंडी दिखाई जाती है। इस प्रक्रिया में महीनों से लेकर कई साल लग सकते हैं।