फाइजर के बाद सीरम इंस्टीट्यूट ने मांगी देश में कोरोना वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी
पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने रविवार को एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार की जा रही कोरोना वायरस की वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन कर दिया है। SII ने इस वैक्सीन के ट्रायल और उत्पादन के लिए एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ समझौता किया था। SII का कहना है कि यह वैक्सीन सुरक्षित है और इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। बता दें, इससे पहले फाइजर इंडिया भी ऐसा ही आवेदन कर चुकी है।
कंपनी ने दिए चार देशों के ट्रायल के आंकड़े
अगर SII की वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिलती है तो यह ऐसी पहली संभावित वैक्सीन होगी, जिसके ट्रायल भारत में किए गए हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि SII ने आवेदन में यूनाइटेड किंगडम (UK), भारत और ब्राजील में हुए एक-एक क्लिनिकल ट्रायल के आंकड़े उपलब्ध कराए हैं। इनके आधार पर कंपनी ने कहा है कि यह वैक्सीन लक्षण वाले और कोरोना वायरस के गंभीर मामलों के खिलाफ बेहद प्रभावी है।
कंपनी का दावा- पूरी तरह सुरक्षित है वैक्सीन
भारत में एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की इस वैक्सीन को कोविशील्ड के नाम से जाना जा रहा है। कंपनी ने आवेदन में लिखा है कि यह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और इसे लोगों के समूह को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
ट्रायल में शामिल वॉलेंटियर ने उठाए थे सवाल
जानकारी के लिए बता दें कि देश के अलग-अलग हिस्सों में इस वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल किए जा रहे हैं। इसके अलावा ब्राजील और UK में भी इसके ट्रायल हुए हैं। बीते दिनों चेन्नई के एक वॉलेंटियर ने दावा किया था कि इस वैक्सीन की खुराक लेने के बाद वह गंभीर रूप से बीमार हो गया था। हालांकि, SII और सरकार की तरफ से इन आरोपों का खंडन किया गया था।
क्या रहे थे वैक्सीन के ट्रायल के नतीजे?
एस्ट्राजेनेका ने हाल ही में अपनी वैक्सीन के अंतिम चरण के ट्रायल के नतीजों का ऐलान किया था। ट्रायल में शामिल 131 लोगों के संक्रमित पाए जाने के बाद जारी किए गए इन नतीजों में वैक्सीन को औसतन 70.4 प्रतिशत प्रभावी पाया गया था। कंपनी के अनुसार, वैक्सीन को पहले आधी खुराक और फिर पूरी खुराक वाले 2,800 लोगों के समूह में 90 प्रतिशत और दोनों पूरी खुराक वाले 8,900 लोगों के समूह में 62 प्रतिशत प्रभावी पाया गया।
कोविशील्ड के स्टोरेज में नहीं आएंगी परेशानी
फाइजर की वैक्सीन के उलट कोविशील्ड का स्टोरेज बेहद आसान है। फाइजर की वैक्सीन को -70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर स्टोर करने की जरूरत होती है। इस स्तर की कोल्ड चैन भारत में फिलहाल मौजूद नहीं है। इसके चलते इसे दूरदराज के गांवों में पहुंचाना मुश्किल भरा काम है। इसकी तुलना में कोविशील्ड को 2-8 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर किया जा सकता है। ऐसे में इसकी स्टोरेज आसान होगी, जो चुनौतियां कम करने का काम करेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने किया था SII संयंत्र का दौरा
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने SII संयंत्र का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने वैक्सीन के उत्पादन से जु़ड़ी जानकारियां ली थी। दौरे के बाद मीडिया से बात करते हुए SII प्रमुख आदर पूनावाला ने कहा था कि प्रधानमंत्री के साथ वैक्सीन को लेकर विस्तार से बातचीत हुई थी। इस दौरान उन्होंने कहा कि कंपनी जल्द ही वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन करेगी और हरी झंडी मिलने पर भारत में इसका वितरण शुरू किया जाएगा।
"सरकार ने लिखित में नहीं दी खुराक की मांग"
पूनावाला ने यह भी बताया कि उन्हें अभी तक ऐसा कुछ भी लिखित में नहीं मिला है कि सरकार SII से कितनी खुराकें खरीदेगी, लेकिन ऐसे संकेत है कि जुलाई 2021 तक 30 से 40 करोड़ खुराकें खरीदी जा सकती हैं।
फाइजर ने भी मांगी अनुमति
SII से पहले फाइजर इंडिया भारत में अपनी वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी मांग चुकी है। साथ ही कंपनी ने भारत में क्लिनिकल ट्रायल से भी छूट की मांग की है। फाइजर ने जर्मन कंपनी बायोएनटेक के साथ मिलकर कोरोना वायरस वैक्सीन तैयार की है, जिसे यूनाइटेड किंगडम और बहरीन में इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है। जानकारी के मुताबिक, फाइजर इंडिया का आवेदन समिति के पास भेज दिया गया है, जो मंजूरी देने का फैसला करेगी।