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हैदराबाद: कोरोना वायरस को मात दे चुके मरीजों को वापस घर नहीं ले जा रहे परिजन

हैदराबाद: कोरोना वायरस को मात दे चुके मरीजों को वापस घर नहीं ले जा रहे परिजन

Jul 03, 2020
12:50 pm

क्या है खबर?

कोरोना वायरस को लेकर लोगों में कितना डर है और वे कैसे अपने परिचितों से भी भेदभाव करने से परहेज नहीं कर रहे, इसका एक नमूना तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से सामने आया है। यहां के एक अस्पताल में कम से कम 35 ऐसे मरीज हैं जो कोरोना वायरस से पूरी तरह से उबर चुके हैं, लेकिन उनके परिजन उन्हें वापस घर नहीं ले जाना चाहते। अस्पताल ने फिलहाल उन्हें आइसोलेशन वार्ड में रखा हुआ है।

मामला

गांधी अस्पताल का है मामला

मामला गांधी अस्पताल का है, जहां ठीक हो चुके कोरोना वायरस के कई मरीजों को उनके परिजन घर लेकर नहीं गए हैं। अस्पताल के नोडल अधिकारी डॉ प्रभाकर रेड्डी के अनुसार, "गांधी अस्पताल में ऐसे 35 मरीज हैं। जब कोई मरीज ठीक होता है और छुट्टी से लिए तैयार होता है तो हम परिवार को सूचित करते हैं। परिजन कहते हैं कि घर पर छोटे बच्चे हैं और उन्हें खतरा होगा इसलिए हम उन्हें घर वापस नहीं ले जा सकते।"

बयान

छोटे घर का बहाना भी बनाते हैं लोग- डॉ रेड्डी

डॉ रेड्डी ने बताया कि परिजन हमसे ठीक हो चुके मरीजों को कुछ और दिन रखने के लिए कहते हैं और उनका सबसे आम बहाना छोटे बच्चों की सुरक्षा और उन्हें खतरे में ना डालना होता है। उन्होंने कहा, "कुछ लोग ये भी कहते हैं कि उनका फ्लैट या घर बहुत छोटा है जिसमें एक बेडरूम है और वे सलाह के अनुसार ठीक हो चुके मरीज को कुछ दिन के लिए आइसोलेशन में नहीं रख सकते।"

रूखा व्यवहार

मरीज के ठीक होने की सूचना मिलते ही बात करना बंद कर देते हैं परिजन

डॉक्टर्स के अनुसार, परिजन मरीजों से रोज ऑडियो या वीडियो कॉल पर बात करते हैं, लेकिन जैसे ही उन्हें सूचना दी जाती है कि मरीज अस्पताल से छुट्टी के लिए तैयार है, कुछ परिजन फोन करना बंद कर देते हैं। एक डॉक्टर ने कहा, "कुछ परिजन कहते हैं कि उनकी पड़ोसी ठीक हो चुके मरीज को अस्पताल से घर लाने के खिलाफ हैं। अगर वे पूरी तरह ठीक हो जाएं तो भी उन्हें घर वापस नहीं ले जाया जाता।"

आपबीती

कुछ ऐसा महसूस करते हैं मरीज

ऐसे मरीजों में मेडचल का रहने वाला एक 55 वर्षीय शख्स भी शामिल है। उसने कहा, "जब मेरे बेटा-बेटी मुझे लेने नहीं आए तो मैंने खुद को त्यागा हुआ महसूस किया। उन्होंने बात करना ही बंद कर दिया। मैं उनकी समस्या समझता हूं, हम एक पतली गली में एक छोटे से घर में रहते हैं। मेरा पोता बस दो साल का है। पड़ोसी भी असुरक्षित महसूस कर रहे होंगे। लेकिन उन्हें मुझसे बातचीत करना नहीं बंद करना चाहिए था।"

परेशानियां

रात को रोते हैं मरीज, कई में डिप्रेशन के लक्षण

अधिकारियों के अनुसार, इनमें से कई मरीजों को इस समय पर अपने परिवार के समर्थन की बहुत जरूरत होती है और जब वे उन्हें घर नहीं ले जाते तो वे त्यागा हुआ महसूस करते हैं। कई मरीज रात में रोते हैं और कई में डिप्रेशन के लक्षण भी दिखते हैं। ़ अस्पताल के अधीक्षक डॉ राजाराव के बताया, "चूंकि गांधी अस्पताल विशेष कोविड अस्पताल है, इसलिए हमने कुछ लोगों को बाकी जगहों पर आइसोलेशन वार्ड में भेज दिया है।"