कई देशों में मौजूद हो सकता है कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन- WHO की प्रमुख वैज्ञानिक
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि यूनाइटेड किंगडम (UK) में तेजी से फैल रहा कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन पहले से ही अन्य कई देशों में मौजूद हो सकता है और इन देशों को अपना डाटा देखने पर इसके बारे में पता चलेगा। उन्होंने ये भी कहा कि अभी नए स्ट्रेन के बारे में कोई निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी और इससे वैक्सीनों की प्रभावकारिता पर असर पड़ने की संभावना बेहद कम है।
क्या बोलीं डॉ स्वामीनाथन?
NDTV से बात करते हुए डॉ स्वामीनाथन ने कहा, "UK उन देशों में से एक है जो जीनोम सीक्वेंसिंग पर काफी काम कर रहे हैं और इसी कारण वे जल्दी से इसकी पहचान करने में कामयाब रहे हैं। मुझे संदेह है कि जब और देश अपने डाटा को देखेंगे तो उन्हें ये वेरिएंट और इससे संंबधित वेरिएंट पहले से ही वहां मौजूद मिल सकता है।" उन्होंने कहा कि आगे चलकर ये वेरिएंट सबसे प्रमुख वेरिएंट बन सकता है।
नए स्ट्रेन से वैक्सीनों पर असर पड़ने की संभावना बेहद कम- डॉ स्वामीनाथन
नए वेरिएंट के कोरोना वायरस की वैक्सीनों पर असर पड़ने के सवाल पर डॉ स्वीमानाथन ने कहा, "ऐसा होना बेहद मुश्किल है कि स्पाइक प्रोटीन में एक-दो म्यूटेशन के कारण वैक्सीनों के प्रति इम्युन सिस्टम की प्रतिक्रिया बदल जाए।"
"अभी कोई निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी, नतीजे आने में लग सकते हैं कुछ हफ्ते"
डॉ स्वामीनाथन ने इस दौरान ये भी कहा कि इस नए स्ट्रेन के बारे में अभी कोई भी निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी और इससे संबंधित शोधों के नतीजे आने में कुछ हफ्ते लग सकते हैं। उन्होंने कहा, "अभी के लिए हम देशों को अधिक सीक्वेंसिंग करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। भारत के पास जीनोम सीक्वेंसिंग करने की बड़ी क्षमता है। वास्तव में भारत पहले से ही 3,00,000 सीक्वेंस वाले वैश्विक डाटाबेस में काफी योगदान दे रहा है।"
वायरस को नियंत्रित करने के कदमों पर जोर देने की अपील
अपने इंटरव्यू के दौरान डॉ स्वामीनाथन ने इस बात पर भी जोर दिया कि वायरस को नियंत्रित करने के कदम पहले की तरह ही हैं। उन्होंने देशों से टेस्टिंग, कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग और आइसोलेशन पर जोर देकर ट्रांसमिशन रेट को नीचे लाने की अपील की।
70 प्रतिशत अधिक तेजी से फैलता है नया स्ट्रेन
कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन पहली बार सितंबर में दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड में पाया गया था और ये अन्य स्ट्रेनों के मुकाबले 70 प्रतिशत अधिक तेजी से फैलता है। अभी ये लंदन और UK के अन्य हिस्सों में बहुत तेजी से फैल रहा है और कुछ ही समय में यहां कोरोना वायरस का प्रमुख वेरिएंट बन गया है। इंग्लैंड के अलावा ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका और इटली में भी नए स्ट्रेन से संक्रमण के मामले सामने आए हैं।
कितना घातक है नया स्ट्रेन?
अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे साबित हो कि नया स्ट्रेन अधिक घातक है या इस पर वैक्सीन का कोई असर नहीं होगा। जानकारों का कहना है कि अभी किसी नतीजे पर पहुंचाना जल्दबाजी होगी। फिर भी संक्रमण की तेज रफ्तार के कारण चिंताएं बढ़ने लगी है। अधिक लोगों के संक्रमित होने का मतलब यह है कि स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ बढ़ेगा, जो कई चुनौतियां का कारण बन सकता है।
भारत समेत कई देश लगा चुके हैं UK से उड़ानों पर पाबंदी
नए स्ट्रेन को अपने यहां फैलने से रोकने के लिए कई देशों ने UK से आने वाली उड़ानों पर रोक लगा दी है। ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, इटली, आयरलैंड, जर्मनी, फ्रांस और नीदरलैंड समेत तमाम यूरोपीय देशों ने रविवार को ही उड़ानों पर रोक लगा दी, वहीं इजरायल, तुर्की और सऊदी अरब ने सोमवार को उड़ानों पर रोक लगाई। भारत ने भी UK से आने-जाने वाली उड़ानों पर 31 दिसंबर तक रोक लगा दी है।