महाराष्ट्र: लगभग 500 सरकारी अस्पतालों की समीक्षा, 90 प्रतिशत के पास नहीं अग्निशमन विभाग की NOC
क्या है खबर?
बीते शनिवार को महाराष्ट्र के भंडारा में एक अस्पताल में आग लगने से 10 शिशुओं की मौत हो गई थी।
इस घटना के बाद राज्य के सरकारी अस्पतालों में इंतजामों की समीक्षा की जा रही है।
अब तक हुई 484 सरकारी अस्पतालों और दूसरी स्वास्थ्य सुविधाओं की समीक्षा में सामने आया है कि कुछ अस्पतालों को छोड़ दिया जाए तो बाकी के पास अग्निशमन विभाग की तरफ से मिलने वाला अनापत्ति पत्र (NOC) भी नहीं है।
पृष्ठभूमि
शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी अस्पताल में आग
9 जनवरी को भंडारा के सरकारी अस्पताल की सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट में आग लगने से 10 शिशुओं की मौत हो गई थी। शॉर्ट सर्किट को आग लगने का कारण बताया जा रहा है। दमकलकर्मी भारी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाने में सफल हुए।
घटना के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जांच के आदेश दिए थे। वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और राहुल गांधी आदि ने घटना पर दुख व्यक्त किया था।
जानकारी
80 प्रतिशत से अधिक अस्पतालों में नहीं हुआ फायर सेफ्टी ऑडिट
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, समीक्षा में सामने आया है कि 80 प्रतिशत से अधिक अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं में कभी फायर सेफ्टी ऑडिट नहीं हुआ और आधे से ज्यादा अस्पतालों में मॉक फायर ड्रिल नहीं हुई।
महाराष्ट्र
बीते पांच सालों में 17 दुर्घटनाएं
बीते पांच सालों में महाराष्ट्र के 11 जिलों के सरकारी अस्पतालों में आग से जुड़ी 17 दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।
फिलहाल जारी समीक्षा में अभी तक ग्रामीण इलाकों में स्थित 484 अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, जिला और उप खंडों में स्थित अस्पतालों के आंकड़ें उपलब्ध हुए हैं।
इनके अनुसार, अधिकतर अस्पतालों ने आग से जुड़े सुरक्षा नियमों को अनदेखा किया गया है। साथ ही नियमों के पालन के लिए विभागों के बीच आपसी तालमेल में भी कमी है।
जानकारी
सिर्फ 45 अस्पतालों के पास NOC
समीक्षा में सामने आया है कि इनमें से केवल 88 अस्पतालों ने फायर सेफ्टी ऑडिट किया है और सिर्फ 45 के पास अग्निशमन विभाग की NOC है। वहीं केवल 218 अस्पतालों में कम से कम एक बार मॉक फायर ड्रिल की गई है।
महाराष्ट्र
लापरवाही की ओर इशारा करते हैं ये आंकड़े
समीक्षा में पता चला है कि पुणे के 26 अस्पतालों में से केवल चार ने फायर सेफ्टी ऑडिट किया है और किसी के पास भी NOC नहीं है।
इसी तरण ठाणे के 13 अस्पतालों में से सात ने फायर सेफ्टी ऑडिट किया है और केवल दो के पास NOC है। अभी तक मुंबई के आंकड़े उपलब्ध नहीं हुए हैं।
इससे पता लगाया जा सकता है कि अस्पताल प्रबंधन आग से जुड़े नियमों को लेकर कितने सतर्क हैं।
लापरवाही
भंडारा की घटना के बाद जागे अधिकारी
नंदुरबर, धुले, सतारा, जलगांव और सिंधुदुर्ग जैसे जिलों के अस्पतालों की हालात तो और भी चिंताजनक है।
इन जिलों में स्थित अस्पतालों ने तो कभी फायर सेफ्टी ऑडिट किया है और न ही किसी के पास NOC है।
भंडारा की घटना के बाद अब अधिकारी नींद से जागे हैं और इन अस्पतालों में फायर सेफ्टी ऑडिट कराने के आदेश जारी किए हैं। कुछ अस्पतालों में इसी सप्ताह मॉक फायर ड्रिल भी की गई है।