सच नहीं हैं मंकीपॉक्स से जुड़े ये भ्रम, जानिये अहम बातें
क्या है खबर?
दुनिया के कई देशों में इन दिनों मंकीपॉक्स अपने पैर पसार रहा है। इसे देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे 'वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल' घोषित कर दिया है। भारत में भी इसके चार मामले सामने आ चुके हैं।
इन सबके बीच आम लोगों में इस बीमारी को लेकर कुछ भ्रम फैल रहे हैं, जो सच नहीं है।
आइये ऐसे ही कुछ भ्रमों और उनके पीछे की सच्चाई जानने का प्रयास करते हैं।
जानकारी
सबसे पहले मंकीपॉक्स के बारे में जानिये
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है। ये बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है।
ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस में चेचक (स्मालपॉक्स) और काउपॉक्स बीमारी फैलाने वाले वायरस भी आते हैं।
साल 1958 में रिसर्च के लिए तैयार की गईं बंदरों की बस्तियों में यह वायरस सामने आया था और इससे पॉक्स जैसी बीमारी होना पाया गया था।
जानकारी
क्या कोरोना जैसी नई महामारी है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स ने अभी तक महामारी का रूप नहीं लिया है। WHO ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है और इसके मुकाबले के लिए एकजुट प्रयासों की जरूरत बताई है।
यह बीमारी न तो कोरोना वायरस जितनी संक्रामक है और न ही उतनी आसानी से फैलती है। मंकीपॉक्स संक्रमित व्यक्ति या उसकी इस्तेमाल की गई चीजों के संपर्क में आने से फैलता है। यौन संबंध बनाने से भी इसका संक्रमण फैलता है।
खतरा
क्या केवल समलैंगिक लोगों को इससे खतरा है?
WHO ने कहा है कि अभी तक मंकीपॉक्स के अभी तक ज्यादातर मामले समलैंगिक पुरुषों में देखे गए हैं।
हालांकि, यहां यह जान लेना महत्वपूर्ण है कि कोई भी व्यक्ति मंकीपॉक्स से संक्रमित हो सकता है। अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है।
स्वास्थ्य समस्याओं का सामने करने वाली गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों और लोगों को भी इससे खतरा है।
इलाज
क्या इसका इलाज मौजूद है?
मंकीपॉक्स की कुछ दवाएं और वैक्सीन मौजूद हैं। इम्वाम्यून नामक वैक्सीन को कई देशों में मंजूरी भी मिल चुकी है।
BBC के अनुसार, यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी ने इसके लिए एक एंटीवायरल भी तैयार किया है। जानकारों का कहना है कि स्मॉलपॉक्स की रोकथाम के लिए इस्तेमाल होने वाली वैक्सीन भी मंकीपॉक्स के खिलाफ प्रभावी है।
हालांकि, इसके अधिकतर मामलों में इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है और सारे लक्षण धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं।
जानकारी
इसकी जांच के लिए क्या सुविधा है?
RT-PCR टेस्ट से मंकीपॉक्स की जांच हो सकती है। इसमें शरीर पर उभरे रैश में भरे पानी की जांच की जाती है। अभी केवल पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) में इसकी जांच की जा रही है।
संक्रमण
क्या यौन संबंध बनाने से होता है मंकीपॉक्स?
केवल यौन संबंध बनाने से मंकीपॉक्स नहीं फैलता है। अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के करीबी संपर्क में रहेंगे तो संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
दरअसल, अगर कोई व्यक्ति संक्रमित मरीज के शरीर हुए रैश या लाल चकत्ते के संपर्क में आता है तो भी यह संक्रमण उस तक पहुंच सकता है।
हालांकि, मंकीपॉक्स से ठीक हुए लोगों को 12 हफ्तों तक यौन संबंध के दौरान कंडोम के इस्तेमाल की सलाह दी गई है।