अगले साल चांद पर उतरने की दूसरी कोशिश करेगा भारत, ISRO भेजेगा चंद्रयान-3 मिशन
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 मिशन की तैयारियां शुरू कर दी है। इसके लिए नवंबर, 2020 तक की समयसीमा तय की गई है। यानी अगले एक साल में भारत एक बार फिर चांद की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा। गौरतलब है कि भारत ने चंद्रयान-2 मिशन के तहत चांद पर उतरने की कोशिश की थी, लेकिन यह सफल नहीं हो सकी। अब एक बार फिर ISRO ने चांद को अपना लक्ष्य बनाकर काम शुरू किया है।
चंद्रयान-3 मिशन को लेकर हो चुकी है कई उच्च स्तरीय बैठकें
TOI के मुताबिक, ISRO ने इसके लिए एक पैनल और तीन उप समितियों का गठन किया है और अक्टूबर से लेकर अब तक चार उच्च स्तरीय बैठकें हो चुकी हैं। नए मिशन में केवल लैंडर और रोवर भेजा जाएगा। ध्यान देने वाली बात यह है कि चंद्रयान-2 में भेजे गए लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान अपने मिशन में कामयाब नहीं हो पाए थे। इस मिशन के तहत भेजा गया ऑर्बिटर सफलतापूर्वक काम कर रहा है।
लैंडर की 'टांगे' मजबूत करने पर खास जोर
इस मिशन को लेकर मंगलवार को हुई बैठक में चंद्रयान-3 की कॉन्फिगरेशन को लेकर चर्चा की गई। साथ ही इसमें समितियों द्वारा दिए गए सुझावों पर भी बातचीत की गई। एक वैज्ञानिक ने बताया कि इस मिशन पर तेज गति से काम हो रहा है और ISRO लैंडिग साइट सेलेक्शन और नेविगेशन आदि पहलूओं पर विचार कर रहा है। एक दूसरे वैज्ञानिक ने बताया कि इस बार लैंडर की 'टांगों' को मजबूत बनाने पर खास जोर दिया जा रहा है।
नए मिशन पर भेजे जाएंगे लैंडर और रोवर
चंद्रयान-3 मिशन पर भेजने के लिए ISRO नया लैंडर और रोवर बना रहा है। हालांकि, अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि इस मिशन पर कितने पेलोड भेजे जाएंगे।
चंद्रयान-2 मिशन क्या था?
भारत ने चांद की सतह पर उतरने की पहली कोशिश के तहत चंद्रयान-2 मिशन भेजा था। इस मिशन पर लैंडर (चांद की सतह पर उतरने वाला मॉड्यूल) रोवर (चांद की सतह पर घूमकर प्रयोग करने वाला मॉड्यूल) और ऑर्बिटर (चांद के चारों ओर चक्कर लगाने वाला मॉड्यूल) भेजा था। ISRO के मुताबिक, 98 फीसदी सफल रहे इस मिशनके अंतिम क्षणों में ISRO का विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया था। तमाम कोशिशों के बाद दोबारा संपर्क स्थापित नहीं हो पाया।
लैंडिंग से 90 सेकंड पहले टूटा था विक्रम का संपर्क
लैंडर को 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरना था, लेकिन तय समय से महज 90 सेकंड पहले इसका कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया। उस वक्त यह चांद की सतह से सिर्फ 2.1 किलोमीटर ऊपर था।
के सिवन ने दिए थे नए मिशन के संकेत
हाल ही में ISRO प्रमुख के सिवन ने कहा था कि ISRO अपना सारा अनुभव, ज्ञान और तकनीकी हुनर लगाकर भविष्य में चांद की सतह पर उतरने में कामयाब होगा। चंद्रयान-2 के बारे में बात करते हुए सिवन ने कहा कि ISRO दोबारा चांद पर उतरने की कोशिश करेगा। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 कहानी का अंत नहीं है। ISRO के आदित्य L1 सोलर मिशन, गगनयान मिशन समेत सारे मिशन सही गति से आगे बढ़ रहे हैं।