कोलकाता मामला: सुप्रीम कोर्ट ने की काम पर लौटने की अपील, डॉक्टरों ने निकाला विरोध मार्च
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के मामले में डॉक्टरों का गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ है। डॉक्टर पिछले एक महीने से हड़ताल के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मामले में सोमवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों से मंगलवार शाम 5 बजे तक काम पर लौटने की अपील की। इसके बाद डॉक्टरों ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग तक विरोध मार्च निकालकर अपनी मांगें रखी।
डॉक्टरों ने स्वास्थ्य भवन तक निकाला विरोध मार्च
सुप्रीम कोर्ट की अपील के बाद डॉक्टरों ने सुबह आरजी कर मेडिकल कॉलेज से लेकर स्वास्थ्य भवन तक विरोध मार्च निकाला और अपनी मांगें भी रखी। जूनियर डॉक्टरों द्वारा साझा किए गए एक पत्र के अनुसार, उनकी कुछ मांगों में ऑन-ड्यूटी डॉक्टरों के लिए अलग टॉयलेट और बाथरूम, पर्याप्त सुरक्षाकर्मी, CCTV और महिलाओं के लिए महिला सुरक्षाकर्मी, डॉक्टरों के टॉयलेट, वार्ड और ऑपरेशन थियेटर के बाहर उचित सुरक्षा उपाय शामिल हैं।
डॉक्टरों ने पत्र में क्या लिखा?
डॉक्टरों ने अपने मांग पत्र में लिखा है, 'हम याद दिलाना चाहते हैं कि केवल पुलिस की मौजूदगी बढ़ाने और डॉक्टरों के कमरे अलग करने से सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होगी। डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की सुरक्षा की गारंटी के लिए सरकारी अस्पतालों में उचित रोगी सेवाएं सुनिश्चित करना आवश्यक है।' डॉक्टरों ने पत्र में लिखा, 'हम प्रत्येक जिले में उचित सरकारी स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की मांग करते हैं न कि केवल नागरिक डॉक्टरों और नर्सों की नियुक्ति की।'
मांगें पूरी होने पर ही करेंगे हड़ताल खत्म करने पर विचार
डॉक्टरों ने अपने पत्र में स्पष्ट लिखा, 'हम सरकार को साफ तौर पर बताना चाहते हैं कि अगर राज्य सरकार मंगलवार शाम 5 बजे तक हमारी मांगों पर गौर नहीं करती है, तभी हम हड़ताल के बारे में उनके अनुरोध पर विचार कर सकते हैं। अन्यथा, हम समझेंगे कि सरकार गतिरोध खत्म नहीं करना चाहती है। उस स्थिति में, हम राज्य भर में पैदा होने वाली स्थिति के लिए सरकार को ही पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराएंगे।'
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
मामले में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों से मंगलवार शाम 5 बजे तक काम पर लौटने की अपील की थी। उस दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में 3 सदस्यीय खंडपीठ ने पुलिस और राज्य सरकार को डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा था और चेतावनी दी थी कि अगर डॉक्टर लगातार काम से अनुपस्थित रहते हैं तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। इस आदेश से डॉक्टरों में खलबली मची हुई है।
डॉक्टरों की हड़ताल के दौरान राज्य में हुई 23 लोगों की मौत
सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से पेश की स्थिति रिपोर्ट में दावा किया गया था कि डॉक्टरों की हड़ताल से राज्य में चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है। डॉक्टरों के हड़ताल पर रहने से राज्य में करीब 23 लोगों की मौत हुई है।
सुप्रीम कोर्ट ने की थी यह टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की हड़ताल पर कहा था, "हम जानते हैं कि जमीन पर क्या हो रहा है, लेकिन डॉक्टरों को अब काम पर वापस आना चाहिए। वे यह नहीं कह सकते कि वरिष्ठ डॉक्टर काम कर रहे हैं इसलिए हम काम नहीं करेंगे। हमने सभी को नोटिस दे दिया है। विरोध प्रदर्शन अपने कर्तव्यों की कीमत पर नहीं किया जा सकता है।" कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को नई स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
मुख्यमंत्री बनर्जी ने की दुर्गा पूजा की ओर लौटने की अपील
इधर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया पर कहा, "9 अगस्त की घटना को एक महीना हो गया है। मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि दुर्गा पूजा पर लौटें, उत्सव पर लौटें और CBI से यथाशीघ्र न्याय सुनिश्चित करने को कहें।" उन्होंने कहा, "अगर आप हर रात सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करते हैं, तो बहुत से लोग परेशान होते हैं। कई इलाकों में बुजुर्ग लोग हैं। अगर आप माइक्रोफोन का इस्तेमाल करते हैं, तो उन्हें सोने में परेशानी होती है।"
मुख्यमंत्री की टिप्पणी पर पीड़िता के परिजनों ने दी तीखी प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री बनर्जी की टिप्पणी पर पीड़िता के माता-पिता ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा, "जब हमने अपनी बेटी खो दी है तो हमारे उत्सवों का क्या होगा? मुख्यमंत्री हमारी बेटी को वापस ला सकती है। अगर उनके परिवार में ऐसा हुआ होता तो क्या वह यही कहती?" उन्होंने कहा, "हमने अपनी बेटी के साथ दुर्गा पूजा मनाई, हम आने वाले वर्षों में दुर्गा पूजा या कोई अन्य त्योहार नहीं मनाएंगे। मुख्यमंत्री की टिप्पणी असंवेदनशील है।"