पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायाधीश की कौनसी टिप्पणी पर भड़का सुप्रीम कोर्ट?
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की एकल पीठ की ओर से अवमानना के एक मामले में शीर्ष अदालत के खिलाफ की गई टिप्पणियों को हटा दिया है। कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट की टिप्पणी अनुचित और अपमानजनक थीं। मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने कहा कि वह हाई कोर्ट की टिप्पणियों से आहत हैं। आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है।
क्या है मामला?
दरअसल, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज जस्टिस राजबीर सहरावत एक मामले में हाई कोर्ट द्वारा शुरू की गई अवमानना कार्यवाही पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाखुश थे। इस मामले में 17 जुलाई को उन्होंने फैसला सुनाते हुए ये टिप्पणियां की थीं। 6 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया था। पीठ में CJI चंद्रचूड़ के अलावा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय भी शामिल थे।
जस्टिस सहरावत ने क्या कहा था?
जस्टिस सहरावत ने सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश की आलोचना करते हुए कहा था, "मनोवैज्ञानिक स्तर पर देखा जाए तो इस तरह के आदेश मुख्य रूप से 2 कारकों से प्रेरित होते हैं। पहला- आदेश से उत्पन्न होने वाले परिणाम की जिम्मेदारी लेने से बचने की प्रवृत्ति, क्योंकि अवमानना कार्यवाही पर रोक का आदेश किसी पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है। दूसरा- सर्वोच्च न्यायालय को वास्तव में जितना सर्वोच्च है, उससे अधिक 'सर्वोच्च' मानने की प्रवृत्ति।"
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सबसे बड़ा संविधान
पीठ ने कहा, "न तो सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च है और न ही हाई कोर्ट, वास्तव में भारत का संविधान सर्वोच्च है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा अपने आदेश में की गई टिप्पणियां शर्मनाक हैं। यह सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ हाई कोर्ट की गरिमा को भी कम करने वाली है। फैसले से कोई पक्षकार संतुष्ट और असंतुष्ट हो सकता है, लेकिन न्यायाधीश कभी अपने से उच्च संवैधानिक फोरम की ओर से पारित आदेश पर असंतोष नहीं जाहिर कर सकते।"
CJI बोले- उच्च अदालतों पर टिप्पणी में सावधानी और संयम बरतें
CJI चंद्रचूड़ ने कहा, "सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग के इस दौर में जजों को जरूरी एहतियात बरतनी चाहिए। ऐसी टिप्पणी करने से बचना चाहिए, जो न्यायिक प्रकिया को नुकसान पहुंचाए।" पीठ ने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के आदेश पर कोई बात करते वक्त जरूरी एहतियात, सावधानी और संयम बरतेंगे। इस दौरान जस्टिस सहरावत द्वारा एक अन्य मामले में की गई टिप्पणी के वायरल वीडियो का भी जिक्र हुआ।