योगी राज में मूर्तियों की बहार, राज्य में लगेंगे अटलजी समेत चार हस्तियों के स्टैच्यू
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश सरकार ने कुछ दिन पहले अयोध्या में भगवान राम का स्टैच्यू लगाने की घोषणा की थी।
अब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने चार और स्टैच्यू लगाने की योजना को मंजूरी दी है।
सरकार राज्य में अलग-अलग स्थानों पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, स्वामी विवेकानंद, महंत अवैद्यानाथ और महंत दिग्विजय नाथ के स्टैच्यू लगाएगी।
इस योजना को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंजूरी मिल चुकी है और इन पर काम शुरू हो गया है।
स्थान
लखनऊ में बनेगा अटलजी का स्टैच्यू
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री अटलजी का स्टैच्यू लखनऊ के लोकभवन में बनाया जाएगा। इसकी ऊंचाई 25 फीट होगी।
राजभवन में स्वामी विवेकानंद के स्टैच्यू का निर्माण किया जाएगा।
राज्य के सांस्कृतिक विभाग के विशेष सचिव ने बताया कि महंत अवैद्यानाथ और महंत दिग्विजय नाथ के स्टैच्यू गोरखपुर में बनाए जाएंगे और इनकी ऊंचाई 12.5 फीट होगी।
इनकी लागत के बारे में अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
जानकारी
विपक्ष ने बताया पैसे की बर्बादी
सरकार की तरफ से इस योजना को मंजूरी मिलने के बाद विपक्ष आक्रामक हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि योगी आदित्यनाथ को राज्य के विकास पर ध्यान देना चाहिए। अखिलेश ने इन स्टैच्यू को लोगों के पैसे की बर्बादी बताया।
योजना
अयोध्या में बनेगा भगवान राम का स्टैच्यू
योगी आदित्यनाथ ने साल 2017 में अयोध्या में भगवान राम का स्टैच्यू बनाने की घोषणा की थी।
हाल ही में इसकी तस्वीर जारी की गई थी। इस स्टैच्यू की ऊंचाई 151 मीटर होगी, जबकि उसके ऊपर 20 मीटर ऊंचा छत्र और 50 मीटर का आधार (बेस) होगा। इस हिसाब से इस स्टैच्यू की कुल ऊंचाई 221 मीटर होगी।
मूर्ति के बेस में एक म्यूजियम का निर्माण भी किया जाएगा। यह स्टैच्यू कांसे से बनाया जाएगा।
मांग
कांग्रेस नेता ने की थी देवी सीता के स्टैच्यू की मांग
कुछ दिन पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद डॉक्टर करण सिंह ने योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख देवी सीता के स्टैच्यू के निर्माण की मांग की।
उन्होंने लिखा कि भगवान राम के स्टैच्यू के साथ देवी सीता का स्टैच्यू भी बनाया जाए।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि भगवान राम की प्रतिमा की ऊंचाई को आधा करके वहां राम और सीता दोनों की युगल मूर्तियां बनवायी जाएं।
उनकी इस मांग का कई संतों ने भी समर्थन किया था।