कश्मीर से आई खुश कर देने वाली तस्वीरें, सेना की भर्ती में शामिल हुए सैकड़ों युवा
कश्मीर विवाद पर देश के अन्य इलाकों के लोग अक्सर इस गलत सोच का शिकार होते हैं कि वहां सब कुछ भारत के खिलाफ है। यह सोच कश्मीर विवाद पर उनकी अधूरी जानकारी और मीडिया द्वारा उनको पेश की जाने वाली आधी तस्वीर का हिस्सा है। कश्मीर की पूरी तस्वीर इससे अलग है और हर मुद्दे की तरह इसके भी दो पक्ष है। आइए आपको कश्मीर के दूसरे पक्ष को दिखाने वाली एक खबर के बारे में जानकारी देते हैं।
सेना भर्ती में शामिल हुए सैकड़ों कश्मीरी युवा
एक तरफ जहां कश्मीरी युवाओं के आतंक की राह पर जाने की खबरें सामने आती रहती हैं, वहीं कश्मीर में कई युवा ऐसे भी है जो सेना के साथ जुड़कर देश की सेवा करना चाहते हैं। इसका एक नमूना बारामूला में 111 जगहों के लिए हुई सेना की भर्ती में देखने को मिला। घाटी में पैर परासने के आतंकियों के मंसूबों को मुंह चिढ़ाते हुए कश्मीर के सैकड़ो युवाओं ने भर्ती में भाग लिया।
देश की सेवा करना चाहते हैं कश्मीरी युवा
कश्मीर में नहीं है देशभक्त युवाओं की कमी
भर्ती में हिस्सा लेने पहुंचे एक कश्मीरी युवा बिलाल अहमद ने समाचार एजेंसी ANI से बातचीत करते हुए कहा, "इसके जरिए हमें अपने परिवार को चलाने और देश की सेवा करने का मौका मिलेगा।इसके अलावा किसी को और क्या चाहिए?" बिलाल का यह जबाव यह बताने के लिए काफी है कि कश्मीर में देशभक्त युवाओं की भी कमी नहीं है और वह भी अन्य युवाओं की तरह देश के लिए जान देने को तैयार हैं।
कश्मीरी को मिला है इस साल का अशोक चक्र पुरस्कार
बता दें कि इस साल का वीरता पुरस्कार अशोक चक्र भी कश्मीर के रहने वाले शहीद लांस नायक नजीर अहमद वानी को दिया गया है। वानी पहले आतंकवादी थे, लेकिन उन्होंने जल्द ही आतंक की राह त्याग कर देश की सेना के साथ जुड़ने का फैसला किया। वह पिछले साल आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए थे। इस दौरान उन्होंने 2 आतंकियों को ढेर किया था। उनकी कहानी कश्मीरी युवाओं के लिए एक प्रेरणादायी सबक है।
कश्मीर में हार रही आतंकवाद की सोच
सेना से जुड़कर देश की सेवा करने को आतुर कश्मीरी युवा और शहीद नजीर वानी जैसे कश्मीरी इस बात के प्रतीक है कि कश्मीर में आतंकी भले ही कुछ युवाओं को भड़काकर गलत राह पर ले जाए, लेकिन उनकी सोच और विचार कश्मीर में हार रहे हैं। सेना के साथ जुड़ते हर कश्मीरी युवा के साथ पुलवामा जैसे घातक हमलों को अंजाम देने वाली सोच हारती है और कश्मीर को भारत का अभिन्ना हिस्सा मानने वाली सोच मजबूत होती है।