कर्नाटक के पर्यावरण मंत्री का दावा, अभिनेता यश की फिल्म के लिए सैंकड़ों पेड़ काटे गए
कर्नाटक के पर्यावरण मंत्री ईश्वर खांड्रे ने हिंदुस्तान मशीन टूल्स (HMT) पर यश अभिनीत फिल्म 'टॉक्सिक' की शूटिंग के लिए पीन्या में वन भूमि पर सैकड़ों पेड़ों को अवैध रूप से काटने का आरोप लगाया है। उन्होंने मंगलवार को घटनास्थल का दौरा किया और कुछ उपग्रह तस्वीरों की समीक्षा कर यह आरोप लगाया। उन्होंने तस्वीर साझा कर लिखा, 'HMT के नियंत्रण वाली वन भूमि में फिल्म 'टॉक्सिक' की शूटिंग के लिए सैकड़ों पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया।'
मंंत्री ने आगे क्या लिखा?
मंत्री ने आगे लिखा, 'सैटेलाइट तस्वीरों से यह गैरकानूनी कृत्य साफ नजर आ रहा है, मैंने आज वहां जाकर निरीक्षण किया। मैंने इस गैरकानूनी कृत्य के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तत्काल सख्त कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। अपने वन एवं पर्यावरण की सुरक्षा हम सभी की बड़ी जिम्मेदारी है। यदि वन भूमि पर अवैध गतिविधियां पाई जाती हैं तो मैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध हूं।'
कर्नाटक सरकार HMT से वापस लेना चाहती है जमीन
बेंगलुरु के पीन्या-जल्लाहल्ली में वन विभाग की 599 एकड़ वन भूमि है। यह भूमि 1960 के दशक में घड़ी बनाने वाली कंपनी HMT को दी गई थी। इस पर कंपनी स्थापित है। पर्यावरण मंत्री खंड्रे का कहना है कि यह अवैध रूप से हस्तांतरित भूमि है, जिसका कोई साक्ष्य नहीं, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यहां खाली पड़ी 281 एकड़ जमीन को वापस लेने पर काम कर रही है।
खंड्रे का आरोप, HMT किराए पर दे रही जमीन
इससे पहले खंड्रे ने HMT पर गैर-वानिकी गतिविधियों को बढ़ावा देते हुए विभिन्न संस्थाओं और व्यक्तियों को अवैध रूप से वन भूमि बेचने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि हाल ही में, HMT द्वारा कथित तौर पर केनरा बैंक को बेची गई वन भूमि पर, फिल्म टॉक्सिक के लिए एक विशाल सेट बनाया गया था और कई महीनों तक शूटिंग चलती रही। उन्होंने कहा कि कानूनी अनुमति के बिना वन भूमि में पेड़ों को काटना दंडनीय अपराध है।
कुमारस्वामी ने खंड्रे को घेरा
पर्यावरण मंत्री खंड्रे ने अगस्त में वन विभाग को आदेश जारी कर कहा था कि पीन्या-जलाहल्ली में 599 एकड़ वन भूमि थी, जो अब HMT के पास है। खंड्रे ने इसे वापस लेने को कहा था। इस आदेश के बाद केंद्रीय मंत्री और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने खंड्रे को निशाने पर लिया था। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उपक्रम की स्थिति दयनीय है और राज्य सरकार उसको सुधारने की जगह उसकी जमीन क्यों वापस लेना चाहती है?