दिल्ली की बसों में 77 प्रतिशत महिलाएं रात में यात्रा से डरती हैं, रिपोर्ट में खुलासा
दिल्ली में भले ही महिलाओं के लिए बसों का सफर मुफ्त हो, लेकिन कई महिलाएं आज भी इसमें यात्रा करने पर खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करतीं। गैर-सरकारी संगठन ग्रीनपीस इंडिया की नवीनतम 'राइडिंग द जस्टिस रूट' रिपोर्ट में पता चला कि 77 प्रतिशत महिलाएं खराब रोशनी और बसों के अनियमित समय-सारिणी के कारण अंधेरे के बाद बसों में यात्रा के दौरान असुरक्षित महसूस करती हैं। महिलाओं ने भीड़भाड़ वाली बसों में उत्पीड़न की घटनाओं की रिपोर्ट भी की है।
मुफ्त बस सेवा मिलने के बाद बढ़ी महिलाओं की संख्या
रिपोर्ट में बताया गया कि सर्वेक्षण में शामिल 25 प्रतिशत महिलाओं ने दिल्ली की बसों में यात्रा करना शुरू कर दिया है। इनमें वे महिलाएं भी शामिल हैं, जो पहले बसों में सफर करने से बचती थीं, लेकिन अक्टूबर 2019 में मुफ्त बस सेवा शुरू होने के बाद वे इसमें नियमित रूप से सफर कर रही हैं। बता दें कि दिल्ली की बसों में महिलाओं को मुफ्त गुलाबी टिकट मिलता है, जिसने 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है।
गुलाबी टिकट योजना को पूरे हुए 5 साल
दिल्ली सरकार की गुलाबी टिकट योजना को लागू हुए 5 साल पूरे हो चुके हैं। योजना का लाभ महिलाएं ले रही हैं, लेकिन इसको लेकर दुश्वारियां भी कम नहीं हैं। सर्वेक्षण में शामिल महिलाओं ने बताया कि बस स्टॉप पर पर्याप्त रोशनी नहीं होती और बसों का इंतजार करने के लिए 10 से 20 मिनट तक इंतजार करना पड़ता है, ऐसे में शाम को 5 बजे के बाद वे इससे सफर नहीं करती हैं।
1 लाख रुपये प्रतिमाह कमाने वाली महिलाएं भी कर रहीं सफर
रिपोर्ट में पता चला कि निचले आय वर्ग में शामिल महिलाएं एक हफ्ते में करीब 3 से 5 दिन बस से सफर करती हैं और 60 प्रतिशत मध्यम आय वर्ग की महिलाएं भी हफ्ते में इतने ही दिन मुफ्त बस सेवा का लाभ लेती हैं। उच्च आय वर्ग में शामिल 50,000 से 1 लाख रुपये प्रतिमाह कमाने वाली 57 प्रतिशत महिलाएं भी दैनिक रूप से दिल्ली की बसों में सफर करती हैं। महिलाएं मेट्रो में भी यात्रा करती हैं।
कैसे हुआ सर्वेक्षण?
ग्रीनपीस इंडिया ने गुलाबी टिकट के 5 साल होने पर दिल्ली में सर्वेक्षण किया, जिसमें 510 महिलाओं से फील्ड सर्वेक्षण और सोशल मीडिया के मंचों के द्वारा प्रतिक्रियाएं एकत्रित की गई थीं। इस दौरान महिलाओं से कई प्रकार के प्रश्न पूछे गए थे।