अनुच्छेद 370: न्यायाधीश कौल ने सत्य और सुलह आयोग बनाने को कहा, बोले- घाव भरने होंगे
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के राष्ट्रपति के आदेश को वैध ठहराया। कोर्ट ने केंद्र को जम्मू-कश्मीर में जल्द विधानसभा चुनाव कराने और उसका राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्देश भी दिया हैं। मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में शामिल न्यायाधीश संजय किशन कौल ने अपने आदेश में जम्मू-कश्मीर के मुद्दों पर एक सत्य और सुलह आयोग गठित करने की सिफारिश की।
न्यायाधीश कौल ने क्या कहा?
न्यायाधीश कौल ने कहा, "अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था और इसका मतलब आंतरिक संप्रभुता को अमान्य करना था। विधानसभा का उद्देश्य राज्य को भारत के अन्य राज्यों के बराबर लाना और क्रमिक एकीकरण में मदद करना था।" उन्होंने कहा, "मैं 1980 के दशक के बाद सरकारी और गैर-सरकारी तत्वों द्वारा जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच और सुलह के उपायों के लिए एक निष्पक्ष सत्य और सुलह आयोग की स्थापना की सिफारिश करता हूं।"
जल्द किया जाए आयोग का गठन- न्यायाधीश कौल
न्यायाधीश कौल ने कहा, "अनुच्छेद 370 की स्मृतियां लुप्त होने से पहले एक जांच आयोग का गठन किया जाना चाहिए। राज्य और केंद्र को बातचीत के लिए एक मंच प्रदान करना चाहिए। जम्मू-कश्मीर में युवाओं की एक पूरी पीढ़ी अविश्वास की भावना के साथ बड़ी हुई है।" उन्होंने कहा, "मुद्दों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, सत्य और सुलह आयोग का गठन किस तरीके से किया जाना चाहिए। यह तय करना सरकार का काम है।"
न्यायाधीश कौल बोले- सच बोलने से सुलह का मार्ग होगा प्रशस्त
न्यायाधीश कौल ने कहा, "जन्मू-कश्मीर के नागरिकों के घावों को भरने की दिशा में पहला कदम राज्य और केंद्र सरकार द्वारा किए गए उल्लंघनों के कृत्यों को स्वीकार करना है। सच बोलना सुलह का मार्ग प्रशस्त करता है।" उन्होंने कहा, "अनुच्छेद 370 का उद्देश्य धीरे-धीरे जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों के बराबर लाना था। धारा 367 का उपयोग करके अनुच्छेद 370 में संशोधन की अनुमति नहीं थी। जब कोई प्रक्रिया निर्धारित की जाती है, तो उसका पालन करना होगा।"
क्या था अनुच्छेद 370?
अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान का एक अस्थायी प्रावधान था, जिसे 1949 में लाया गया था। इसके तहत जम्मू-कश्मीर को स्वायत्तता और विशेष अधिकार प्रदान किए गए थे। राज्य का अपना झंडा, संविधान और नागरिकता होती थी। इसके साथ ही बाहरी लोग यहां जमीन नहीं खरीद सकते थे। अनुच्छेद 370 से ही अनुच्छेद 35A भी उपजा था, जिसमें राज्य के स्थायी निवासियों को परिभाषित करके उन्हें विशेषाधिकार प्रदान दिए गए थे। ये भी अनुच्छेद 370 के साथ रद्द हो गया था।