जगदीप धनखड़ ने देश के 14वें उपराष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली
पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने आज देश के 14वें उपराष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में हुए कार्यक्रम में उन्हें शपथ दिलाई। भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार रहे धनखड़ 6 अगस्त को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 346 वोटों से हराकर उपराष्ट्रपति बने हैं। उन्होंने वेंकैया नायडू की जगह ली जिनका कार्यकाल कल समाप्त हुआ।
किसान परिवार से आते हैं जगदीप धनखड़
जाट समुदाय से आने वाले जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई, 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले स्थित किठाना गांव के एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरूआत पढ़ाई गांव के ही एक स्कूल से की और फिर स्कॉलरशिप पर चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में पढ़ने चले गए। इसके बाद उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से फिजिक्स और कानून की डिग्री हासिल की। वह सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाई कोर्ट में वकालत भी कर चुके हैं।
जनता दल के साथ की राजनीतिक पारी की शुरूआत
कुछ करीबी राजनेताओं के समझाने के बाद धनखड़ ने 1980 के दशक में जनता दल से अपना राजनीतिक करियर शुरू किया और 1989 में उसकी टिकट पर झुंझुनू सीट से सांसद चुने गए। पूर्व प्रधानमंत्री और हरियाणा के दिग्गज नेता देवीलाल उनके गुरू रहे हैं। 1990 में देवीलाल के वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस लेने पर धनखड़ भी सरकार से बाहर हो गए। इसके बाद 1990 में वह चंद्रशेखर सरकार में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री रहे।
जनता दल के बाद कांग्रेस से होते हुए भाजपा में आए धनखड़
जनता दल के बाद धनखड़ ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया और 1993 में उसके टिकट पर अलवर के किसानगढ़ से विधायक चुने गए। हालांकि, राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत के उदय के बाद वह किनारे होते चले गए और काफी समय तक अपने विकल्पों पर विचार करने के बाद आखिरकार साल 2008 में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। वह राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता वसुंधरा राजे सिंधिया के बेहद करीबी माने जाते हैं।
राज्यपाल के तौर पर ममता बनर्जी सरकार से हुआ टकराव
धनखड़ को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान जुलाई, 2019 में पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाए जाने के बाद मिली। राज्यपाल के तौर पर उनका तृणमूल कांग्रेस (TMC) की राज्य सरकार से कई बार टकराव हो चुका है। उन्होंने 2021 विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया था। जवाब में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन पर निशाना साधा था। TMC सरकार ने उन्हें यूनिवर्सिटीज के चांसलर के पद से हटाने वाला विधेयक भी पारित किया।
14 साल के इकलौते बेटे की मौत से टूट गए थे धनखड़
धनखड़ दिल और दिमाग से बेहद मजबूत हैं। उनके दो बच्चे थे, बेटा दीपक और बेटी कामना। दीपक अजमेर के मेयो स्कूल में पढ़ता था। 14 साल की उम्र में फरवरी 1994 में दीपक को ब्रेन हेमरेज हो गया था। धनखड़ आनन-फानन में उपचार के लिए उसे दिल्ली लेकर गए, लेकिन वह बच नहीं पाया। बेटे की मौत ने धनखड़ को पूरी तरह तोड़ दिया था। इसके बावजूद वह दर्द से बाहर निकले और पूरे परिवार को संभाला।