कतर ने पूर्व भारतीय नौसेनिकों को क्यों किया रिहा? सामने आया इजरायल कनेक्शन
हाल ही में कतर ने मौत की सजा पाए भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को रिहा कर दिया था। इन सभी पर इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप था। अक्टूबर, 2023 में इन सभी को मौत की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद मामले ने खूब तूल पकड़ा था। पूर्व नौसैनिकों की रिहाई को लेकर अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं। अब एक अमेरिका पत्रिका ने इस कदम के पीछे इजरायल कनेक्शन होने की बात कही है।
क्या है रिहाई के पीछे का कथित इजरायल कनेक्शन?
अमेरिका स्थित पत्रिका द डिप्लोमैट के मुताबिक, नौसैनिकों की रिहाई भारत की मध्य-पूर्व नीति, खासकर इजरायल नीति, में नाटकीय बदलाव की वजह से हुई है। अक्टूबर में जब इजरायल-हमास युद्ध शुरू हुआ था, तब भारत ने इजरायल के लिए अपना समर्थन देने में जल्दबाजी की थी, लेकिन जैसे-जैसे गाजा में इजरायल का युद्ध जारी रहा, भारत का धीरज कमजोर होता गया। युद्ध बढ़ने के साथ-साथ इजरायल को लेकर भारत के रुख में लचीलापन आया है।
इजरायल के प्रति कैसे बदला भारत का रुख?
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल नवंबर में संयुक्त राष्ट्र (UN) में एक प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसमें वेस्ट बैंक में इजरायली बस्तियों की निंदा की गई थी। भारत ने इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया था। इसके बाद दिसंबर में गाजा पट्टी में तत्काल युद्धविराम का आह्वान करने के लिए UN में प्रस्ताव लाया गया था। भारत ने इसका भी समर्थन किया था। हालांकि, इस दौरान भारत ने पूरी तरह इजरायल का साथ नहीं छोड़ा है।
इजरायल के प्रति भारत के रुख से खुश हुआ कतर- रिपोर्ट
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और कतर के बीच का हालिया विवाद दिखाता है कि मध्य-पूर्व के देश भारत और इजरायल के संबंधों को लेकर संवेदनशील हैं, खासकर भारत-इजरायल के सैन्य सहयोग को लेकर। इजरायल को लेकर भारत के रुख में लचीलेपन से कतर खुश हुआ है। नौसैनिकों की रिहाई इसी ओर इशारा करती है। बता दें कि कतर के हमास से अच्छे संबंध है। हमास के कई नेता कतर में ही शरण लिए हुए हैं।
रिपोर्ट में दावा- कतर मामले से बदली भारत की मध्य-पूर्व नीति
द डिप्लोमैट ने लिखा कि कतर का मामला भारत की मध्य-पूर्व नीति में नया विकास है। लेख में कहा गया है, "भारत भाग्यशाली रहा है कि इजरायल और ईरान दोनों का करीबी रणनीतिक साझेदार होने के बावजूद उसे मध्य-पूर्व के बाकी देशों से इजरायल के साथ संबंधों को बड़े पैमाने पर बदलने की मांग का सामना नहीं करना पड़ा। भारतीय राजनयिकों को यह समझना होगा कि यह नियम का अपवाद है, नियम नहीं है।"
कतर को नजरअंदाज नहीं कर सकता भारत
लेख के मुताबिक, मध्य-पूर्व के बाकी देशों की तरह ही कतर भी ऐसा देश है, जिसे भारत आसानी से छोड़ नहीं सकता। भारत के सहयोगी ईरान ने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और क्षेत्रीय रक्षा समझौतों में कतर को शामिल करने की इच्छा जताई है। करीब 7.50 लाख भारतीय कतर और दूसरे खाड़ी देशों में काम करते हैं। दोनों देशों के संबंधों में उथल-पुथल उनकी आजीविका को खतरे में डाल सकती है।
क्या है नौसेनिकों की सजा और रिहाई का मामला?
अगस्त, 2022 में कतर ने 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को गिरफ्तार किया था। ये सभी अल दाहरा नाम की निजी कंपनी में काम करते थे, जो कतर की नौसेना के लिए एक पनडुब्बी परियोजना पर काम कर रही थी। आरोप थे कि इन्होंने पनडुब्बी से जुड़ी जानकारी इजरायल को दी थी। अक्टूबर, 2023 में सभी को फांसी की सजा सुनाई गई, जिसके बाद भारत सरकार ने हस्तक्षेप किया और इसी महीने फरवरी इन पूर्व सैनिकों की रिहाई हुई।