भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत, कतर की जेल में बंद 8 पूर्व नौसैनिक रिहा, स्वदेश लौटे
भारत सरकार की एक बड़ी कूटनीतिक जीत हुई है। कतर ने 8 पूर्व भारतीय नौसेना के अधिकारियों को रिहा कर दिया है। यह सभी खाड़ी देश में जासूसी के आरोपों का सामना कर रहे थे। भारत सरकार के लगातार प्रयासों के कारण ही पहले उनकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदला गया और अब वह रिहाई के बाद स्वदेश लौट आए हैं। भारत के विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है।
विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
विदेश मंत्रालय ने सोमवार सुबह जारी एक बयान में सभी का स्वागत करते हुए कहा, "कतर में एक निजी कंपनी अल दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले भारत के 8 पूर्व नौसेना कर्मियों में से 7 कतर से भारत लौट आए हैं। हम इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी को सक्षम करने के लिए कतर राज्य के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं।" वापसी के बाद इन सभी ने भारत सरकार का धन्यवाद किया है।
अधिकारियों को नहीं थी रिहाई की जानकारी- रिपोर्ट
एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बिना यह संभव नहीं था। भारत सरकार के निरंतर प्रयासों के कारण हो सका है।" NDTV ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पूर्व सैनिकों को उनकी रिहाई की जानकारी पहले नहीं थी। रिहा होने के तुरंत बाद दूतावास के अधिकारी उन्हें अपने साथ ले गए। अधिकारियों ने बताया की वह कल इंडिगो की उड़ान में सभी सवार हुए और देर रात 2 बजे वापस लौटे।
कौन हैं भारतीय नौसेना के पूर्व 8 अधिकारी?
कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर पूर्णंदू तिवारी, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और नाविक रागेश अगस्त, 2022 से ही कतर की जेल में बंद थे। यह सभी अल दाहरा नाम की कंपनी में काम करते थे, जो कतर की नौसेना के लिए एक पनडुब्बी परियोजना पर काम कर रही थी। 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों पर कतर की पनडुब्बी की गोपनीय जानकारी इजरायल से साझा करने के आरोप थे।
भारत सरकार ने मौत की सजा कैसे कम करवाई थी?
कतर की एक अदालत ने 26 अक्टूबर, 2023 को इन सभी को मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने इन सभी की मदद के लिए सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करने का वादा किया था। भारत ने मौत की सजा के खिलाफ कतर की अपील कोर्ट का रुख किया और 28 दिसंबर को कोर्ट ने मौत की सजा को कम कर जेल की सजा सुनाई थी। विदेश मंत्रालय ने इनके परिजनों को आश्वस्त किया था कि सभी को वापस लाएंगे।
नौसेना के पूर्व 8 अधिकारियों की रिहाई कैसे संभव हो सकी?
विदेश मंत्रालय ने कहा कि जनवरी में, अपील कोर्ट ने 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को उनकी सजा कम करने के बाद अलग-अलग जेल की सजा के खिलाफ अपील करने के लिए 60 दिन का समय दिया था। कोर्ट ने शुरू में मौखिक आदेश के रूप में फैसला सुनाया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने बताया कि 8 लोगों की सहायता करने वाली कानूनी टीम को फैसले की एक प्रति मिल गई थी, लेकिन यह एक 'गोपनीय दस्तावेज' था।
यह भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत कैसे है?
पिछले साल दिसंबर में कतर कोर्ट का फैसला भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी गई क्योंकि तब ही प्रधानमंत्री मोदी ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हम्द अल-थानी से दुबई में हुए राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP28) से इतर मुलाकात की थी। 1 दिसंबर को बैठक के बाद, प्रधानमंत्री ने कहा था कि उन्होंने कतर में भारतीय समुदाय की भलाई पर चर्चा की थी। अब इन सभी पूर्व भारतीय नौसैनिकों की रिहाई ने इसपर मुहर लगा दी।