भारत की बढ़ेगी ताकत; परमाणु पनडुब्बी 'अरिघात' नौसेना में हुई शामिल, क्या है खासियत?
भारतीय नौसेना की ताकत में अहम बढ़ोतरी हुई है। परमाणु ऊर्जा से चलने वाली देश की दूसरी बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) 'अरिघात' को राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विशाखापट्टनम में अरिघाट को नौसेना को सौंपा। यह स्वदेशी परमाणु पनडुब्बियों की अरिहंत क्लास की दूसरी पनडुब्बी है। साल 2017 से इसके परीक्षण किए जा रहे थे। आइए इस घातक पनडुब्बी की खासियत जानते हैं।
INS अरिहंत का उन्नत वर्जन है अरिघात
अरिघात दरअसल INS अरिहंत का उन्नत वर्जन है। परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पहली स्वदेशी पनडुब्बी INS अरिहंत है, जिसे 2009 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। अरिहंत की तरह ही अरिघात भी 750 किलोमीटर की रेंज वाली K-15 मिसाइलों से लैस होगी। हालांकि, अरिघात ज्यादा क्षमता वाली मिसाइलें भी ले जाने में सक्षम है। इसका निर्माण विशाखापट्टनम स्थित भारतीय नौसेना के नेवी शिप बिल्डिंग सेंटर (SBC) में किया गया है।
3,500 किलोमीटर रेंज वाली मिसाइल ले जाने में सक्षम
अरिघात 11 मीटर चौड़ी, 111.6 मीटर लंबी और इसका बीम 11 मीटर का है। पानी के नीचे इस पनडुब्बी की अधिकतम रफ्तार 24 नॉट्स (44 किलोमीटर प्रति घंटा) है और समुद्री सतह पर ये 22-28 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है। यह 3,500 किलोमीटर से ज्यादा रेंज वाली 4 परमाणु-सक्षम K-4 SLBM (पनडुब्बी से दागी गई बैलिस्टिक मिसाइल) भी अपने साथ ले जा सकती है। पहले इसका नाम INS अरिदमन रखा गया था।
क्या है खासियत?
पनडुब्बी में 21 इंच के 6 टॉरपीडो लगे हैं। इसके अलावा कई टॉरपीडो ट्यूब हैं, जिनका उपयोग मिसाइल या समुद्री माइंस को तैनात करने के लिए किया जा सकता है। यह पानी के भीतर 980 से 1,400 फीट की गहराई तक जा सकती है। इसके जरिए परमाणु मिसाइल दागी जा सकती है। परमाणु ऊर्जा से चलने वाली ये पनडुब्बी 4 महीने से अधिक समय तक पानी के अंदर रह सकती है।
क्या है नौसेना का लक्ष्य?
भारतीय नौसेना ने अब तक 3 परमाणु पनडुब्बियां तैयार की हैं। इनमें से पहली अरिहंत को नौसेना में शामिल किया जा चुका है। दूसरी पनडुब्बी अरिघात आज नौसेना में शामिल होगी। तीसरी पनडुब्बी का अभी परीक्षण चल रहा है। 1990 में भारत ने एडवांस टेक्नोलॉजी वेसल प्रोग्राम (ATV) शुरू किया था। इसके तहत ही इन पनडुब्बियों का निर्माण शुरू हुआ था। नौसेना 18 डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी, 4 SSBN और 6 न्यूक्लियर-पावर्ड अटैक सबमरीन (SSN) बेड़े में शामिल करना चाहती है।