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#NewsBytesExplainer: कतर में पूर्व नौसैनिकों को फांसी से बचाने के लिए भारत के पास क्या-क्या विकल्प?
कतर में 8 पूर्व भारतीय नौसेनिकों को फांसी की सजा सुनाई गई है

#NewsBytesExplainer: कतर में पूर्व नौसैनिकों को फांसी से बचाने के लिए भारत के पास क्या-क्या विकल्प?

लेखन आबिद खान
Oct 27, 2023
08:10 pm

क्या है खबर?

कतर ने भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई है। ये सभी कतर की एक कंपनी के कर्मचारी थे, जिन्हें पिछले साल मामले में हिरासत में ले लिया गया था। उन पर कथित तौर पर जासूसी के आरोप हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वो इस मामले में सभी कानूनी विकल्प तलाश रहा है। आइए समझते हैं कि इस मामले में भारत के पास क्या विकल्प हैं।

मामला

सबसे पहले जानें क्या है मामला

अगस्त, 2022 में कतर की खुफिया एजेंसी ने 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को गिरफ्तार किया था। ये अल दाहरा नाम की कंपनी में काम करते थे, जो कतर की नौसेना के लिए एक पनडुब्बी परियोजना पर काम कर रही थी। आरोप है कि इन लोगों ने पनडुब्बी की गोपनीय जानकारी इजरायल से साझा की। अब कतर की कोर्ट ने इन सभी पूर्व भारतीय नौसैनिकों को फांसी की सजा सुनाई है। कतर ने आरोपों को लेकर कुछ आधिकारिक नहीं कहा है।

कानून

भारत के पास क्या कानूनी विकल्प?

इंडिया टुडे से बात करते हुए वकील आनंद ग्रोवर ने बताया कि एक तरीका यह है कि कतर की ऊपरी कोर्ट में सजा के खिलाफ अपील या पुनर्विचार याचिका दायर की जा सकती है। अगर मामले में उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जाता है या अपील खारिज हो जाती है तो भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) का दरवाजा खटखटा सकती है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वो मामले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाएंगे।

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ICJ

क्या अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से मिलेगी राहत?

कतर ने जिस गोपनीय ढंग से मामले की सुनवाई की है, भारत उसे ICJ में चुनौती दे सकता है। जानकारों के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय कानून में कुछ चुनिंदा मामलों में ही फांसी की सजा का प्रावधान है। 2017 में भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया था और मौत की सजा सुनाई थी। भारत सरकार ने इस फैसले को ICJ में चुनौती दी थी और जाधव की फांसी पर रोक लग गई थी।

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समझौता

क्या काम आएगा 2015 में हुआ समझौता?

भारत और कतर के बीच 2015 में एक समझौता हुआ था। इसके तहत कतर में सजायाफ्ता भारतीय नागरिकों और भारत में सजायाफ्ता कतर के नागरिकों को बाकी की सजा पूरी करने के लिए उनके देश भेजा जा सकता है। 2015 में ही कतर के मंत्रिमंडल ने भी इस समझौते पर मुहर लगा दी थी। भारत कतर से इस समझौते के तहत 8 पूर्व नौसेनिकों को सजा पूरी करने के लिए भारत भेजने की मांग कर सकता है।

कूटनीति

कूटनीतिक तरीके से सुलझेगा मसला?

विशेषज्ञ इस मामले में कूटनीति को सबसे बढ़िया उपाय बता रहे हैं। TV9 से बात करते हुए पत्रकार सतीश मिश्र ने कहा, "भारत सरकार या पीड़ित परिवारों के पास बहुत सीमित कानूनी अधिकार हैं। इसे कूटनीतिक तरीके से ही हल किया जा सकता है। जैसे हमास के कब्जे से अमेरिकी मां-बेटी को छुड़ाने के लिए अमेरिका ने कतर से मदद ली, वैसे ही भारत सरकार को भी अपने नागरिकों को बचाने के लिए कोशिश करनी होगी।"

सजा

आजीवन कारावास में बदल सकती है सजा

विदेशी मामलों के विशेषज्ञ केपी फैबियन का कहना है कि कतर भारतीय नागरिकों को फांसी की सजा नहीं देगा। उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले कतर में फिलीपींस के 3 नागरिकों को जासूसी के मामले में सजा सुनाई गई थी। इनमें से एक को फांसी और 2 को आजीवन कारावास की सजा हुई थी। हालांकि, बाद में फांसी की सजा को आजीवन कारावास और बाकी 2 नागरिकों की सजा को 25 साल की जेल में बदल दिया गया।

दबाव

अंतरराष्ट्रीय दबाव आएगा काम?

मध्य-पूर्व के कई देशों से भारत के अच्छे संबंध हैं। भारत कतर के पड़ोसी देशों से मदद मांग सकता है या उस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कोशिश कर सकता है। अगर कोई बड़ा देश मध्यस्थता करता है तो पूर्व नौसेनिकों की रिहाई का रास्ता खुल सकता है। इसके अलावा नागरिक समाज, संगठनों और कतर में काम कर रहे प्रतिष्ठित भारतीयों के जरिए भी दबाव बनाने की कोशिश की जा सकती है।

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