मालदीव से भारत ने सभी सैनिकों को निकाला, आज ही खत्म हो रही है समयसीमा
भारत ने मालदीव से अपने सभी सैनिकों को वापस निकाल लिया है। सैनिकों की वापसी के लिए मालदीव ने 10 मई तक की समयसीमा निर्धारित की थी। भारत ने इससे पहले ही सैनिकों के आखिरी बैच को भी वापस बुला लिया है। अब मालदीव में एक भी भारतीय सैनिक तैनात नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इसकी पुष्टि की है। बता दें कि मालदीव में 89 भारतीय सैनिक तैनात थे।
मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने क्या कहा?
मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय की प्रवक्ता हीना वलीद ने कहा कि मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों के अंतिम बैच को वापस भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि तैनात सैनिकों की संख्या के बारे में विवरण बाद में बताया जाएगा। इससे पहले मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने जानकारी दी थी कि मालदीव में मौजूद 51 भारतीय सैनिक वापस लौट गए हैं और बाकी सैनिक भी 10 मई तक देश लौट जाएंगे।
सैनिकों की जगह तकनीकी कर्मियों ने ली
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जायसवाल ने कहा, "हम इस मुद्दे पर काफी समय से मालदीव के साथ संपर्क में थे। पहले और दूसरे बैच में कई सैनिक पहले ही लौट चुके हैं। अब 3 भारतीय विमानन प्लेटफार्मों को संचालित करने के लिए सक्षम भारतीय तकनीकी कर्मियों की नियुक्ति की गई है।" ये घटनाक्रम ऐसे वक्त सामने आया है, जब हाल ही में मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर भारत आए थे।
मूसा जमीर बोले- जारी रहेगा रक्षा सहयोग
भारत दौरे पर आए जमीर ने कहा, "भारत-मालदीव के बीच रक्षा सहयोग सैनिकों की मौजूदगी से कहीं ज्यादा है। मालदीव में भारतीय सैनिकों पर जो जिम्मेदारी थी, वह काम अब आम नागरिक करेंगे। भारत, मालदीव और श्रीलंका की सेनाएं साथ में युद्धाभ्यास करती हैं। हम इसे जारी रखेंगे।" उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मालदीव के मंत्रियों की विवादित टिप्पणी पर खेद जताते हुए कहा कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा।
मालदीव में क्यों तैनात थे भारतीय सैनिक?
भारत ने मालदीव को 2010 और 2013 में 2 हेलिकॉप्टर और 2020 में एक छोटा विमान तोहफे के तौर पर दिया था। इन्हीं विमानों के संचालन के लिए मालदीव में भारतीय सैनिक तैनात थे। हालांकि, इनका इस्तेमाल सैन्य कामों में नहीं, बल्कि बचाव अभियान या सरकारी कामों में किया जाता है। मालदीव में भारतीय विमान मानवीय सहायता और चिकित्सा आपातकाल जैसी स्थितियों में मदद के लिए तैनात किए गए हैं।
मुइज्जू का चुनावी वादा था सैनिकों की वापसी
पिछले साल मालदीव के राष्ट्रपति चुनावों में मुहम्मद मुइज्जू ने जीत दर्ज की थी। मुइज्जू को खुले तौर पर चीन का समर्थक और भारत विरोधी माना जाता है। उन्होंने अपने चुनावी अभियान में 'इंडिया आउट' का नारा दिया था और घोषणा पत्र में सैनिकों की वापसी का वादा किया था। जब से मुइज्जू राष्ट्रपति बने हैं, तब से भारत और मालदीव के संबंध उथल-पुथल भरे दौर से गुजर रहे हैं।