नरेंद्र दाभोलकर की हत्या में 2 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा, 3 अन्य बरी
क्या है खबर?
अंधविश्वास के खिलाफ लड़ने वाले नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में शुक्रवार को फैसला आ गया।
महाराष्ट्र में पुणे की गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) कोर्ट ने मामले में आरोपी सनातन संस्थान से जुड़े 5 लोगों पर अपना फैसला सुनाया।
कोर्ट ने हमलावरों सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, जबकि चिकित्सक डॉ. वीरेंद्रसिंह तावड़े, वकील संजीव पुनालेकर और उनके सहयोगी विक्रम भावे को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
फैसला
11 साल बाद आया फैसला
जाने-माने तर्कवादी और महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (MANS) के संस्थापक 67 वर्षीय डॉ. दाभोलकर को 20 अगस्त, 2013 की सुबह बाइक सवार 2 हमलावरों ने पुणे के वीआर शिंदे पुल पर गोली मार दी थी।
देश को झकझोरने वाली इस घटना की जांच पहले पुणे पुलिस ने की थी, लेकिन जून, 2014 में इसकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी गई।
सभी आरोपियों के खिलाफ 2016 से लेकर 2019 तक बारी-बारी आरोपपत्र दाखिल किया गया था।
जांच
मुकदमे में 22 लोगों ने दी थी गवाही
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, विशेष कोर्ट ने 15, सितंबर 2021 को मुकदमे की शुरुआत की थी और 5 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे।
सभी आरोपियों ने अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताते हुए खुद को निर्दोष बताया गया। सुनवाई के दौरान 20 गवाहों ने आरोपियों के खिलाफ और 2 ने आरोपियों के समर्थन में गवाही दी थी।
बता दें कि तावड़े, अंदुरे और कालस्कर अभी जेल में हैं, जबकि भावे और पुनालेकर जमानत पर हैं।