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भारत 18,000 नागरिकों को अमेरिका से लाएगा वापस, ट्रंप प्रशासन के साथ जताई सहमति
अमेरिका से वापस लाए जाएंगे 18,000 से अधिक भारतीय नागरिक

भारत 18,000 नागरिकों को अमेरिका से लाएगा वापस, ट्रंप प्रशासन के साथ जताई सहमति

Jan 21, 2025
06:11 pm

क्या है खबर?

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सोमवार को शपथ लेने के साथ ही भारत ने उनके साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करने की तैयारी शुरू कर दी है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने ट्रंप के अवैध प्रवास को रोकने के लिए उठाए गए कदम में सहयोग करने का भरोसा दिलाया है। इसके तहत भारत सरकार ने अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 18,000 से अधिक भारतीयाें को वापस लाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।

पहचान

दोनों देशों ने की 18,000 भारतीयों की पहचान

मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने ट्रंप प्रशासन को खुश करने और व्यापार खतरों के प्रभाव से बचने के लिए पर्दे के पीछे से अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों को वापस लाने के मिलकर काम करने का भरोसा दिलाया है। मामले से जुड़े सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दोनों देशों ने 18,000 से अधिक भारतीयों की पहचान कर ली है और जल्द ही उन्हें वापस भारत लाया जा सकता है।

जानकारी

ट्रंप ने जारी किया जन्मजात नागरिकता को समाप्त करने का आदेश

अवैध प्रवास पर कार्रवाई ट्रंप का प्रमुख वादा है। उन्होंने शपथ ग्रहण के बाद इस पर काम भी शुरू कर दिया है। उन्होंने जन्मजात नागरिकता को समाप्त करने और मैक्सिको की सीमा राष्ट्रीय आपातकाल लागू करने के साथ सैनिकों की तैनानी का आदेश दिया है।

उम्मीद

भारत को सहयोग के बदले क्या है उम्मीद?

भारत को अपने सहयोग के बदले में उम्मीद है कि ट्रंप प्रशासन कानूनी रूप से अमेरिका जाने वाले भारतीय नागरिकों की सुविधा के लिए छात्र वीजा और कुशल श्रमिकों के लिए H-1B वीजा जैसे कार्यक्रम को जारी रखेगा। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, साल 2023 में अमेरिका की ओर से जारी किए गए 3.86 लाख H-1B वीजा में से लगभग तीन-चौथाई भारतीय नागरिकों को ही दिए गए थे। ऐसे में भारत अब राष्ट्रपति ट्रंप को खुश रखना चाहता है।

जानकारी

भारत के ढिलाई बरतने पर हो सकती है परेशानी

अवैध अमेरिकी प्रवासियों को वापस लेने में ढिलाई अन्य देशों के साथ भारत के श्रम और गतिशीलता समझौतों पर बुरा असर डाल सकती है। बता दें कि भारत ने ताइवान, सऊदी अरब, जापान, इजरायल सहित कई देशों से प्रवास समझौते किए हैं।

बयान

विदेश मंत्रालय ने भी जारी किया है बयान

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "प्रवास और गतिशीलता पर भारत-अमेरिका सहयोग के हिस्से के रूप में दोनों पक्ष अवैध प्रवास को रोकने की प्रक्रिया में लगे हुए हैं। यह भारत से अमेरिका में वैध प्रवास के लिए और अधिक अवसर पैदा करने के लिए किया जा रहा है।" उन्होंने अक्टूबर में की गई प्रत्यावर्तन कार्रवाई का जिक्र करते हुए कहा, "चार्टर्ड विमान से अमेरिका से भारतीय नागरिकों का निर्वासन इसी सहयोग का परिणाम है।"

संख्या

अवैध प्रवासियों में भारतीय तीसरे नंबर पर

अमेरिका के आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) द्वारा जारी पिछले महीने तक के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में अंतिम निष्कासन आदेश के साथ 15 लाख व्यक्तियों में 17,940 भारतीय शामिल हैं। बता दें कि अमेरिका में लगभग 7.25 लाख अवैध अप्रवासी भारतीय हैं। ये मेक्सिको और अल साल्वाडोर के बाद अनधिकृत अप्रवासियों की तीसरी सबसे बड़ी संख्या है। पिछले 3 सालों में औसतन 90,000 भारतीय अवैध रूप से अमेरिकी सीमा पार करने की कोशिश करते हुए पकड़े गए हैं।

हिरासत

अवैध तरीके से घुसते हुए 40,000 भारतीय पकड़े गए

ICE के अनुसार, पिछले साल अमेरिका ने कनाडा की सीमा से अपने देश में घुसने की कोशिश करते हुए 1,98,929 लोगों को पकड़ा है, जिनमें 43,764 भारतीय हैं। ये कुल आंकड़े का 22 प्रतिशत है। 2022 में अवैध तरीके से अमेरिका में घुसने की कोशिश करते हुए पकड़ाए गए कुल लोगों में करीब 16 प्रतिशत भारतीय थे। 2023 में अमेरिका ने ऐसी कोशिश करते हुए 1.89 लाख लोगों को पकड़ा था, जिनमें 30,010 भारतीय थे।

जानकारी

साल 2024 में 519 भारतीय निर्वासित किए गए

विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन आजाद ने लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में बताया था कि नवंबर 2023 से अक्टूबर 2024 की अवधि के दौरान कुल 519 भारतीय नागरिकों को अमेरिका से निर्वासित किया गया था।

चिंता

क्या है भारत की व्यापार संबंधी चिंताएं?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भले ही राष्ट्रपति ट्रंप से दोस्ताना संबंध हैं, लेकिन वह अमेरिका की किसी भी अप्रत्याशित कार्रवाई के प्रति भी सतर्क हैं। ट्रंप ने कई बार कहा है कि भारत के उच्च आयात टैक्स दर अमेरिकी व्यवसायों को नुकसान पहुंचाती है। ऐसे में उन्होंने भारत पर भी उसी तरह का टैक्स लगाने की चेतावनी दी है। अगर, राष्ट्रपति ट्रंप ऐसा करते हैं तो इससे अमेरिका में काम करने वाली भारतीय कंपनियों को नुकसान होगा।