कोरोना वायरस: चार आयुर्वेदिक दवाओं का ट्रायल करेगा भारत, एक हफ्ते में होंगे शुरू
कोरोना वायरस के इलाज के लिए भारत अपनी चार आयुर्वेदिक दवाओं का ट्रायल शुरू करेगा। इन दवाओं का ट्रायल इस हफ्ते शुरू हो जाएगा। केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने ट्वीट करते हुए इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के साथ मिलकर इस पर ट्रायल शुरू करेगा। बता दें कि CSIR दुनिया के सबसे बड़े सरकारी वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान सगंठनों में शामिल है।
नाइक को उम्मीद, पारंपरिक औषधीय प्रणाली दिखाएगी रास्ता
नाइक ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'कोरोना वायरस के खिलाफ चार आयुष दवाओं को प्रमाणित करने के लिए आयुष मंत्रालय और CSIR मिलकर काम कर रहे हैं और एक हफ्ते के अंदर ट्रायल शुरू होंगे। इन दवाओं को कोरोना वायरस के मरीजों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली अन्य दवाओं के साथ आजमाया जाएगा।" उन्होंने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि भारत की पारंपरिक औषधीय प्रणाली इस महामारी से पार पाने का का रास्ता दिखाएगी।
आयुष में आती हैं ये पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां
बता दें कि आयुष आयुर्वेदिक, योग, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी की शार्ट फॉर्म है और भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने और उनमें शिक्षा और शोध बढ़ाने के लिए 2014 में मोदी सरकार ने आयुष मंत्रालय का गठन किया था।
पिछले हफ्ते शुरू हुआ था इन आयुर्वेदिक दवाओं का ट्रायल
गौरतल है कि भारत में पहले से ही अन्य कई आयुर्वेदिक दवाओं के कोरोना वायरस पर असर का ट्रायल चल रहा है। इनमें आयुर्वेद की अश्वगंधा, यष्टिमधु, गुडूची पिप्पली और आयुष-64 दवाइयां शामिल हैं। पिछले हफ्ते ही इन दवाओं का ट्रायल शुरू हुआ है और 5 लाख लोगों पर इनका ट्रायल किया जाएगा। आयुष, स्वास्थ्य एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ICIR और ICMR के तकनीकी सहयोग से ये ट्रायल कर रही हैं।
अभी तक नहीं मिला कोरोना वायरस का कोई उपचार
बता दें कि दुनियाभर में तबाही मचा रहे कोरोना वायरस का अब तक कोई भी इलाज नहीं मिला है। हालांकि अमेरिकी कंपनी 'गिलियड' की रेमडेसिवीर दवा के शुरूआती ट्रायल सकारात्मक साबित हुए हैं और इससे शुरूआती रास्ता खुलता हुआ नजर आ रहा है। अमेरिका में कोरोना वायरस के लगभग 1,000 मरीजों पर इस दवा का ट्रायल किया गया जिसमें सामने आया है कि इसके प्रयोग करने वाले मरीज 15 दिन के मुकाबले 11 दिन में ठीक हुए।
प्लाज्मा थैरेपी के जरिए इलाज के भी हो रहे ट्रायल
इसके अलावा कोन्वेलेसेंट प्लाज्मा थैरेपी के जरिए कोरोना वायरस के इलाज के ट्रायल के नतीजे भी उत्साहजनक रहे हैं। इसमें ठीक हो चुके मरीज के शरीर से खून लेकर उसमें से प्लाज्मा अलग किया जाता है और फिर प्लाज्मा को बीमार शख्स के शरीर में चढ़ाया जाता है। ठीक हो चुके मरीज के प्लाज्मा में कोरोना वायरस को मारने वाली एंटी-बॉडी होती हैं जो बीमार शख्स के शरीर में जाकर वायरस को मारने लगती हैं।
वैज्ञानिकों ने अलग से भी बनाई कोरोना वायरस की एंटी-बॉडी
इसके अलावा कम से कम तीन जगहों के वैज्ञानिकों ने अलग से कोरोना वायरस की एंटी-बॉडी बनाने में सफलता हासिल की है। इससे उम्मीद की एक किरण दिखी है और इनका इस्तेमाल दवाओं से लेकर वैक्सीन तक में हो सकता है।