हिंद महासागर में मजबूत होगा भारत, समुद्री सुरक्षा के लिए ये बड़े कदम उठाएगी सरकार
क्या है खबर?
हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में किसी भी संभावित चुनौती से निपटने के लिए भारत सरकार बड़े कदम उठाने जा रही है।
सरकार लक्षद्वीप से लेकर अंडमान निकोबार तक एयरपोर्ट के रनवे का विस्तार और नई राडार क्षमताओं को विकसित करने जा रही है। इससे इन एयरपोर्ट का सैन्य उद्देश्यों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।
साथ ही पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट पर रात्रिकालीन लैंडिंग की सुविधा भी जल्द शुरू की जाएगी।
योजना
क्या है सरकार की योजना?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तरी अंडमान के डिगलीपुर और ग्रेट निकोबार द्वीप समूह के कैम्पबेल बे में एयरपोर्ट के रनवे के विस्तार को मंजूरी दी गई है।
पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट पर रात्रिकालीन लैंडिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। जल्द ही एक एयरबस 321 की यहां पर रात में लैंडिंग की जाएगी।
इसके अलावा लक्षद्वीप के अगत्ती एयरपोर्ट पर रनवे के विस्तार और मिनिकॉय द्वीप पर एक नए रनवे को भी जल्द मंजूरी दी जा सकती है।
एयरपोर्ट
सैन्य उद्देश्यों के हिसाब से विकसित होंगे एयरपोर्ट
निकोबार द्वीप के कैम्पबेल बे में INS बाज के रनवे की लंबाई 4,000 फीट बढ़ाई जाएगी, ताकि यहां से बड़े जेट और लड़ाकू विमानों का संचालन हो सके।
अंडमान द्वीप के डिगलीपुर में INS कोहासा के रनवे को भी बड़े जेट विमानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए बढ़ाया जाएगा। योजना के मुताबिक, इन दोनों का इस्तेमाल आपातकालीन स्थितियों में अग्रिम तैनाती वाले हवाई अड्डों के रूप में किया जा सकेगा।
रडार
क्षेत्र में नए रडार भी स्थापित करेगा भारत
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 6 नए रडार स्थापित किए जाएंगे। साथ ही बेहतर समुद्री और हवाई जानकारी के लिए लक्षद्वीप द्वीप समूह में भी नए रडार लगाए जाएंगे।
इसके अलावा निकोबार में गैलाथिया बे में एक उच्च क्षमता वाले रडार की स्थापना की जा रही है। बता दें कि ये इलाका रणनीतिक रूप से काफी अहम है, क्योंकि इंडोनेशिया के बांदा आचे से इसकी दूरी मात्र 150 किलोमीटर है।
अहमियत
कितना अहम है फैसला?
रणनीतिक और सामरिक लिहाज से लक्षद्वीप और अंडमान निकोबार की भौगोलिक स्थिति हिंद महासागर पर नजर रखने के लिए काफी अहम है।
हाल ही में मालदीव की चीन से बढ़ती नजदीकी और चीनी अनुसंधान पोतों की इस क्षेत्र में सक्रियता को देखते हुए ये फैसला काफी अहम है।
इसके अलावा यहां से दक्षिण-पूर्वी एशिया और उत्तरी एशिया के बीच अरबों रुपये का माल ले जाने वाले व्यापारिक जहाज गुजरते हैं।