कनाडा के चुनावों में हस्तक्षेप के आरोपों को भारत ने नकारा, कही ये बात
क्या है खबर?
भारत और कनाडा के रिश्ते सामान्य होते नजर नहीं आ रहे हैं। हाल ही में कनाडा ने आरोप लगाया था कि भारत उसके चुनावों में हस्तक्षेप कर रहा है।
अब इन आरोपों पर भारत का भी जवाब आया है। भारत ने न सिर्फ इन आरोपों को खारिज किया है, बल्कि कनाडा पर उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के आरोप लगा दिए हैं।
विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे को लेकर कनाडा पर निशाना साधा है।
भारत
भारत ने क्या कहा?
विदेश मंत्रालय ने कहा, "हमने कथित हस्तक्षेप पर कथित गतिविधियों के बारे में रिपोर्ट देखी है। वास्तव में वो कनाडा ही है, जो लगातार भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है। इसने अवैध प्रवास और संगठित आपराधिक गतिविधियों के लिए माहौल तैयार किया है। हम भारत पर रिपोर्ट में लगाए गए सभी तरह के आरोपों को खारिज करते हैं और उम्मीद करते हैं कि अवैध प्रवास को सक्षम करने वाली सहायता प्रणाली को आगे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"
आरोप
कनाडा ने भारत पर क्या आरोप लगाए थे?
कनाडा ने कहा कि भारत उसके चुनावों में हस्तक्षेप करने वाले देशों में दूसरे स्थान पर है।
रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर चीन का प्रभाव सबसे अधिक है। रिपोर्ट में भारत और चीन के अलावा ईरान, रूस और पाकिस्तान पर भी हस्तक्षेप करने के आरोप लगाए गए हैं।
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि भारत कनाडा में राजनयिक अधिकारियों और प्रॉक्सी एजेंटों के माध्यम से कनाडाई चुनावों में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहा है।
अन्य आरोप
भारत पर ये आरोप भी लगाए गए
रिपोर्ट में दावा किया गया कि प्रॉक्सी एजेंटों की तरफ से कनाडाई राजनेताओं को अवैध वित्तीय सहायता दी गई, ताकि भारत समर्थक उम्मीदवार चुनाव जीत सके।
हालांकि, यह भी कहा गया कि निर्वाचित अधिकारी या उम्मीदवार इन हस्तक्षेप के प्रयासों से अवगत नहीं थे और ये प्रयास सफल नहीं हुए।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत कनाडा के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए इंडो-कनाडाई समुदाय और अन्य गैर-इंडो-कनाडाई व्यक्तियों को निशाना बनाता है।
मामला
क्या है पूरा मामला?
कनाडा में 2019 और 2021 के संघीय चुनावों में जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली लिबरल पार्टी को जीत मिली थी। इसके बाद कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि लिबरल पार्टी के पक्ष में चीन और रूस ने चुनावों में हस्तक्षेप किया था।
विवाद के बाद पिछले साल एक आयोग को मामले की जांच सौंपी गई थीं। आयोग ने ट्रूडो को समिति के समक्ष बयान देने के लिए बुलाया था।