कनाडा के खुफिया आयोग की रिपोर्ट में दावा, भारत ने चुनावों में किया हस्तक्षेप
कनाडा ने भारत पर एक बार फिर बड़ा आरोप लगाया है। कनाडा की खुफिया सुरक्षा सेवा (CSIS) की ओर से सार्वजनिक की गई एक खुफिया रिपोर्ट में भारत पर वहां के चुनावों में हस्तक्षेप का आरोप लगाया गया है। ग्लोबल न्यूज के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत कनाडा के चुनावों में हस्तक्षेप में शामिल है। रिपोर्ट में इस पर चिंता व्यक्त की गई है। रिपोर्ट आने के बाद भारत-कनाडा के बीच तनाव और बढ़ सकता है।
रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
रिपोर्ट में कहा गया है विदेशी हस्तक्षेप कनाडा की राजनीति में 'गहराई से अंतर्निहित' है और सरकार के हर स्तर पर सक्रिय है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई कि विदेशी हस्तक्षेप कनाडा के लोकतंत्र को तेजी से कमजोर कर रहा है और कनाडा के राजनीतिक और सामाजिक ताने-बाने में गहराई से जुड़ा हुआ है। बता दें कि पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है और केवल एक हिस्सा सार्वजनिक किया गया है।
रिपोर्ट में भारत को लेकर क्या कहा गया है?
ग्लोबल न्यूज के मुताबिक, जो हिस्सा सार्वजनिक किया गया है, उसमें चीन और भारत को शीर्ष खतरों के रूप में नामित किया गया है। एक नोट में कथित तौर पर लिखा है कि भारत विदेशी हस्तक्षेप गतिविधियों में शामिल है। हालांकि, रिपोर्ट में भारत से जुड़े दस्तावेजों को संशोधित किया गया है और केवल यही एक वाक्य है, जिसमें भारत का जिक्र है। रिपोर्ट में गोपनीयता और धोखे से लोगों को प्रभावित करने की बात कही गई है।
कुछ दिन पहले ही आयोग ने मांगे थे दस्तावेज
बता दें कि इस मामले की जांच न्यायाधीश मैरी-जोसी हॉग के नेतृत्व वाला एक स्वतंत्र आयोग कर रहा है। 25 जनवरी को आयोग ने कनाडा सरकार से भारत से जुड़े दस्तावेज मांगे थे। आयोग ने सरकार के दस्तावेज संग्रह विभाग से अनुरोध किया था कि वो 2019 और 2021 के चुनावों में भारत द्वारा कथित हस्तक्षेप से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध कराए। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने मामले की जांच कराने का फैसला लिया था।
क्या है मामला?
2019 और 2021 के संघीय चुनावों में ट्रूडो के नेतृत्व वाली लिबरल पार्टी को जीत मिली थी। इसके बाद सामने आई कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि लिबरल पार्टी के पक्ष में चीन और रूस ने चुनावों में हस्तक्षेप किया था। चीन पर आरोप हैं कि उसने लिबरल पार्टी के 11 उम्मीदवारों का समर्थन किया था। इसके लिए लाखों डॉलर की रकम दी गई थी। विवाद बढ़ने के बाद आयोग का गठन किया गया था।