कनाडा ने भारत पर लगाया चुनावों में हस्तक्षेप का आरोप, स्वतंत्र आयोग करेगा जांच
भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद थमता नहीं दिख रहा है। कनाडा का मानना है कि भारत ने उसके आम चुनावों में हस्तक्षेप किया था। इस मामले में गठित एक आयोग ने कनाडा सरकार से भारत से संबंधित कई जानकारियां मांगी हैं। बता दें कि आयोग पहले चुनावों में रूस और चीन के हस्तक्षेप की जांच कर रहा था, लेकिन अब उसने भारत के खिलाफ जांच भी शुरू कर दी है।
आयोग ने मांगे दस्तावेज
सीटीवी न्यूज के मुताबिक, कनाडा का संघीय आयोग 2019 और 2021 के संघीय चुनावों में भारत के कथित हस्तक्षेप की जांच करना चाहता है। इसके लिए आयोग ने सरकार के दस्तावेज संग्रह विभाग से अनुरोध किया है कि वो 2019 और 2021 के चुनावों में भारत द्वारा कथित हस्तक्षेप से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध कराए। आयोग मामले की जांच पूरी कर 3 मई, 2024 को अंतरिम रिपोर्ट पेश कर सकता है।
क्या है मामला?
2019 और 2021 के संघीय चुनावों में जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली लिबरल पार्टी को जीत मिली थी। इसके बाद सामने आई कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि लिबरल पार्टी के पक्ष में चीन और रूस ने चुनावों में हस्तक्षेप किया था। विवाद के बाद मामले की जांच के लिए क्यूबेक के न्यायाधीश मैरी-जोसी हॉग के नेतृत्व में एक आयोग का गठन किया गया। अब यही आयोग भारत के कथित हस्तक्षेप से जुड़ी जांच भी करेगा।
कैसे जांच करेगा आयोग?
आयोग का काम है कि वो चुनाव में विदेशी हस्तक्षेप का पता लगाने, रोकने और उसका मुकाबला करने की संघीय सरकार की क्षमता का आंकलन करे। ये काम 2 चरणों में होगा। पहले चरण में चीन, रूस और अन्य विदेशी हस्तक्षेप की जांच की जाएगी। दूसरे चरण में कनाडा सरकार को इस तरह के हस्तक्षेप का पता लगाने, रोकने और मुकाबला करने की अनुमति देने के लिए संघीय विभागों, एजेंसियों और प्रक्रियाओं की क्षमता की जांच होगी।
चीन पर क्या हैं आरोप?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2019 के कनाडा चुनावों में चीन ने लिबरल पार्टी के 11 उम्मीदवारों का समर्थन किया था। इसके लिए लाखों डॉलर की रकम दी गई थी। 2021 के चुनाव में भी चीन ने प्रॉक्सी अभियानों के लिए अवैध तौर पर पैसे दिए थे। ये पूरा अभियान टोरंटो में चीन के वाणिज्य दूतावास से चलाया जा रहा था। इसका मकसद सांसदों के कार्यालय में अपने लोगों को रखना और नीतियों को प्रभावित करना था।
29 जनवरी से शुरू होगी सुनवाई
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, फिलहाल भारत के खिलाफ आरोपों के बारे में विवरण नहीं दिया गया। 29 जनवरी से इस मामले पर सुनवाई शुरू होगी। आयोग की प्रारंभिक सुनवाई में इस बात पर गौर किया जाएगा कि क्या गोपनीय राष्ट्रीय सुरक्षा जानकारी और खुफिया जानकारी को जनता के सामने रखा जाए। आयोग जल्द ही मामले में सार्वजनिक सुनवाई भी शुरू कर सकता है। इस साल के अंत तक जांच पूरी होने की उम्मीद है।