दिसंबर से तंबाकू उत्पादों पर दिखेगी नई चेतावनी
क्या है खबर?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को तंबाकू उत्पादों की पैकेजिंग और लेबलिंग के लिए नए नियम जारी किए हैं।
इसके तहत 1 दिसंबर, 2022 तक बनने, आयात और पैक होने वाले तंबाकू उत्पादों पर नई तस्वीर और दो चेतावनियों लिखनी होंगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद (पैकेजिंग और लेबलिंग) नियम, 2008 में 21 जुलाई को बदलाव किये गए थे और ये 1 दिसंबर, 2022 से लागू होंगे।
बदलाव
तंबाकू उत्पादों की पैकेजिंग पर दिखेंगे ये बदलाव
1 दिसंबर के बाद पैकेज, बनने और आयात होने वाले सभी तंबाकू उत्पादों पर 'तंबाकू दर्दनाक मौत का कारण बनता है' लिखना अनिवार्य होगा।
इन उत्पादों पर दिखाने के लिए दो तस्वीरों का चयन किया गया है, जिनमें से एक के यह टेक्स्ट लिखा होगा। यह 1 दिसंबर के एक साल बाद तक वैध होगा। फिर दूसरी तस्वीर इस्तेमाल होगी।
उत्पाद की दूसरी तरफ काली पृष्ठभूमि पर सफेद अक्षरों में 'आज ही छोड़ें, कॉल करें 1800-11-2356' लिखा होगा।
बदलाव
दिसंबर, 2023 में बदल जाएगी तस्वीर
नए बदलावों के लागू होने के एक साल यानी 1 दिसंबर, 2023 से उत्पादों पर आने वाली तस्वीर और टेक्स्ट बदल जाएगा। दिसंबर, 2023 से दूसरी तस्वीर का इस्तेमाल शुरू हो जाएगा और टेक्स्ट बदलकर 'तंबाकू सेवन यानी अकाल मौत' लिखा जाएगा।
केंद्र सरकार ने चेतावनी दी है कि तंबाकू के कारोबार में शामिल सभी हिस्सेदारों को इन नियमों का पालन करना होगा। अगर कोई इसका उल्लंघन करता पाया गया तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।
जानकारी
तंबाकू आधारित उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है भारत
भारत तंबाकू आधारित उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। यहां कई रूपों में तंबाकू का सेवन किया जाता है।
मई, 2003 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कानून बनाया था। इसको प्रभावी तौर पर लागू करने के लिए 2007 में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (NTCP) शुरू किया था। इसका उद्देश्य कानून और तंबाकू के उपयोग से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को जागरूक करना है।
नुकसान
तंबाकू के कारण देश में हर साल 13.5 लाख मौतें
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत में हर साल 13.5 लाख मौतों के पीछे तंबाकू जिम्मेदार है। इनमें से धूम्रपान के कारण होने वाली मौतों की संख्या 10 लाख है।
2016-17 में हुए एक सर्वे के अनुसार, देश के 29 फीसदी व्यस्क खैनी, गुटखा, सुपारी, बीड़ी, सिगरेट और हुक्का जैसे तंबाकू उत्पादों का सेवन करते थे। वैश्विक स्तर पर बात करें तो 2019 में 114 करोड़ लोग धूम्रपान करते थे।
आर्थिक नुकसान
तंबाकू के कारण हर साल हो रहा 105 लाख करोड़ का नुकसान
WHO के अनुसार, दुनिया में हर साल तंबाकू के इस्तेमाल के कारण 105 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो रहा है। तंबाकू के कारण स्वास्थ्य को हो रहे नुकसान और उत्पादकता में कमी के कारण यह नुकसान झेलना पड़ रहा है।
तंबाकू के नुकसान को रोकने के लिए महज 38 देशों ने इस पर उचित मात्रा में टैक्स लगाया है। हालांकि, इन देशों में दुनिया की केवल 14 फीसदी आबादी ही निवास कर रही है।