कोरोना वायरस: एशिया में सबसे अधिक तेजी से भारत में बढ़ रहे मामले
लॉकडाउन में बड़ी रियायतों के बीच भारत में तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस के मामले चिंता का सबब बने हुए हैं। एक विश्लेषण के अनुसार, एशिया में कोरोना वायरस के मामले सबसे अधिक तेजी से भारत में बढ़ रहे हैं। 'ब्लूमबर्ग' कोरोना वायरस ट्रैकर के अनुसार, पिछले एक हफ्ते में भारत में कोरोना वायरस के मामले 28 प्रतिशत बढ़ गए जो एशिया में सबसे अधिक है। इस दौरान पाकिस्तान में कोरोना के मामलों में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
आज ही भारत में एक लाख के पार गए हैं मामले
बता दें कि भारत में पिछले दो दिनों से रोजाना लगभग 5,000 नए मामले सामने आ रहे हैं और कुल संक्रमितों की संख्या एक लाख को पार कर गई है। देश में अब तक 1,01,139 लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया जा चुका है। इनमें से 3,163 लोगों की मौत हुई है, वहीं 39,174 को सफल इलाज के बाद घर भेजा जा चुका है। देश में कोरोना वायरस के मामले 12 दिन में दोगुने हो रहे हैं।
एशिया में भारत में सबसे अधिक मामले
कोरोना वायरस से कुल संक्रमण के मामले में भारत एशिया में सबसे अधिक प्रभावित देश है, वहीं पूरी दुनिया में भारत 11वें स्थान पर है। अमेरिका 15 लाख से ज्यादा मरीजों के साथ पहले नंबर पर है। यहां 90,000 से अधिक की मौत हुई है। इसके बाद रूस (2.90 लाख), ब्राजील (2.55 लाख), यूनाइटेड किंगडम (2.48 लाख), स्पेन (2.31 लाख), इटली (2.56 लाख), फ्रांस (1.80 लाख), जर्मनी (1.77 लाख), तुर्की (1.51 लाख) और ईरान (1.22 लाख) का नंबर आता है।
सबसे ज्यादा संक्रमित महाराष्ट्र में
भारत में कोरोना वायरस से सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में 35,058 मामले सामने आ चुके हैं। यहां अब तक 8,437 लोग ठीक हुए हैं और 1,249 लोगों की मौत हुई है। यहां मामले और मृतकों की संख्या देश की कुल संख्या के एक तिहाई से ज्यादा है। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में संक्रमितों की संख्या 20,000 से पार पहुंच गई है। महाराष्ट्र के बाद तमिलनाडु, गुजरात और दिल्ली में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं।
लॉकडाउन में बड़ी रियायतों के कारण मामले बढ़ने की आशंका
बता दें कि भारत में कोरोना वायरस के मामले ऐसे समय पर बढ़ रहे हैं जब लॉकडाउन में बड़े स्तर पर रियायतें दी गई हैं। कंटेनमेंट जोन के बाहर लगभग सभी आर्थिक गतिविधियों की इजाजत दे दी गई है। इसके अलावा सभी दुकानों और आम बाजारों को भी खुलने की इजाजत दी गई है। कंटेनमेंट जोन के बाहर सार्वजनिक और निजी परिवहन को भी मंजूरी दी गई है, लेकिन अंतिम फैसला राज्यों पर छोड़ा गया है।
कम आय वाली बस्तियों पर ध्यान देने की जरूरत
देश में बढ़ते मामलों की संख्या पर भारतीय जन स्वास्थ्य संस्थान में अतिरिक्त प्रोफेसर राजमोहन पांडा ने कहा कि चुनौती बड़ी है, लेकिन दोतरफा रणनीति संक्रमण कम करने और कर्व फ्लैट करने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि मुख्य ध्यान कम आय वाली बस्तियों को प्राथमिकता देने पर होना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने उप जिला स्तर पर कंटेनमेंट के लिए कदम उठाने पर भी जोर दिया। इसका मतलब जिलों को कंटेनमेंट में मुख्य भूमिका निभानी चाहिए।