भारत ने गेंहू निर्यात पर लगाई रोक, तुरंत प्रभाव से फैसला लागू
भारत सरकार ने गेंहू के निर्यात पर रोक लगा दी है। शुक्रवार देर शाम जारी हुई अधिसूचना में कहा गया है कि भारत, पड़ोसी देशों और अधिक जोखिम का सामना कर रहे देशों की खाद्य सुरक्षा को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। हालांकि, जरूरतमंद देशों में गेहूं का निर्यात जारी रहने की बात कही गई है। गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते वैश्विक स्तर पर गेंहू के दाम बढ़े हैं।
अनुमान से कम हुआ भारत में उत्पादन
मौसम की मार के चलते इस साल भारत में गेंहू के उत्पादन पर असर पड़ा है। सरकार का अनुमान था कि इस बार देश में 10.5 करोड़ टन गेंहू का उत्पादन होगा, लेकिन यह 9.5 करोड़ टन पर ही आकर रुक गया। इसके चलते आपूर्ति प्रभावित हुई है और गेंहू और आटे के दाम तेजी से बढ़ने लगे हैं। इस बार गेंहू की सरकारी खरीद भी पिछले कई सालों के सबसे निचले स्तर पर रही है।
खरीद में आ सकती है इतनी गिरावट
सरकारी एजेंसियों द्वारा इस साल गेंहू की खरीद 15 सालों में सबसे कम रहने का अनुमान है। किसान आम तौर पर अप्रैल से लेकर मध्य मई तक गेंहू बेचते हैं। हालांकि, सरकार के लिए तकनीकी तौर पर यह खरीद जून तक जारी रहती है। इस बार अनुमान है कि सरकार 18.5 मिलियन टन ही गेंहू किसानों से खरीद पाएगी, जो 2007-08 में खरीदी गई 11.1 मिलियन टन के बाद सबसे कम होगी।
यह भी पहली बार हुआ
यह पहली बार है जब नई फसल खरीद (18.5 मिलियन टन) पहले से सार्वजनिक भंडारों में मौजूद (19 मिलियन टन) से कम रहेगी। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। 2006-07 और 2007-08 में भी कम खरीद के बावजूद ऐसा अंतर देखने को नहीं मिला था। पिछले साल की बात करें तो सरकार ने 43.3 मिलियन टन की खरीद की थी, जबकि उस वक्त सार्वजनिक भंडारों में 27.3 मिलियन टन गेंहू मौजूद थी।
खरीद में कमी क्यों?
यूक्रेन और रूस से गेंहू के वैश्विक निर्यात का 28 प्रतिशत हिस्सा आता है। इन दोनों देशों से आपूर्ति बाधित होने के कारण गेंहू के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। इसके चलते भारत से गेंहू का निर्यात बढ़ा है और किसानों को अच्छे दाम पर गेंहू बेचने का मौका मिल रहा है। सरकार जहां किसानों से करीब 20,000 रुपये प्रति टन की दर पर गेंहू खरीद रही है, वहीं निर्यात से उन्हें इससे ज्यादा मुनाफा हो रहा है।
दूसरी वजह है कम उत्पादन
मध्य फरवरी तक केंद्रीय कृषि मंत्रालय को उम्मीद थी कि इस बार देश में गेंहू का रिकॉर्ड उत्पादन होगा, लेकिन मौसम की मार के चलते ऐसा नहीं हो पाया। मार्च मध्य के बाद तापमान में अचानक उछाल देखा गया और इसका असर फसल पर पड़ा। मध्य प्रदेश को छोड़कर बाकी गेंहू उत्पादक राज्यों के किसानों का कहना है कि मौसम की मार के चलते उनका उत्पादन 15 से 20 प्रतिशत कम हो गया है।
निर्यातकों और व्यापारियों ने MSP से अधिक मूल्य पर खरीदा गूेंहू
कम उत्पादन और बढ़े हुए निर्यात के चलते देश के कई हिस्सों में गेंहू के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ऊपर पहुंच गए। बंदरगाहों के नजदीकी इलाकों में निर्यातकों और व्यापारियों ने किसानों को MSP से ज्यादा पैसा देकर गेंहू खरीदा है। हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में आटा मिल मालिकों ने किसानों को MSP से ज्यादा पैसा देकर गेंहू खरीदा है और उसे स्टॉक कर लिया है। इस तरह कई कारणों से गेंहू की खरीद कम रही।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
इंटरनेशनल पैनल ऑफ एक्सपर्ट्स ऑन सस्टेनेबल फूड सिस्टम्स (IPES) में कहा गया है कि मार्च में अनाज के दाम 14 सालों के और मक्के के दाम अपने अब तक सबसे ज्यादा हो गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन, बड़े स्तर पर फैली गरीबी और संघर्ष अब मिलकर वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा पैदा कर रहे हैं। अगर उचित कदम नहीं उठाए जाते हैं तो ऊंची कीमतें रहना अब सामान्य हो सकता है।