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महिलाओं के लिए उनके ही घर और जानने वाले साबित हो रहे हैं जानलेवा

महिलाओं के लिए उनके ही घर और जानने वाले साबित हो रहे हैं जानलेवा

Nov 27, 2018
07:31 pm

क्या है खबर?

अब तक महिलाओं के लिए उनके घर को ही सबसे सुरक्षित जगह माना जाता था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट ने इस भ्रम को तोड़ दिया है। जी हाँ आपको बता दें कि हाल ही में आई UN की एक रिपोर्ट में इस बात का ख़ुलासा हुआ है कि पिछले साल दुनियाभर में जितनी महिलाओं की हत्या हुई, उनमें से आधी से ज़्यादा महिलाओं की हत्या उनके पार्टनर या परिजनों द्वारा ही की गई थी।

डाटा

58 प्रतिशत महिलाओं के हत्यारे हैं उनके ही जानने वाले

संयुक्त राष्ट्र (UN) के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि 2017 में दुनियाभर में 87,000 महिलाओं की हत्या की घटनाएं हुई। इनमें से 50,000 (लगभग 58 प्रतिशत) हत्याएं महिलाओं के जानने वालों ने ही की है।

घटनाएं

महिलाओं के लिए जानलेवा साबित हो रहा घर

यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) के अनुसार, हर घंटे छह महिलाओं की हत्याएं हो रही हैं। पिछले साल हुई हत्याओं में से 30,000 महिलाओं की हत्या उनके पार्टनर ने की है। UNODC प्रमुख यूरी फेडोतोव ने बताया कि लैंगिक असमानता, भेदभाव और रूढिवादी धारणा के कारण महिलाओं को शिकार होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अधिकतर महिलाओं की हत्या उनके जानने वाले कर रहे हैं, जो घरों को महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक जगह बनाती है।

खौफ

अमेरिका और अफ्रीका में महिलाएं सबसे ज्यादा असुरक्षित

अध्ययन के मुताबिक, अफ्रीका और अमेरिका ऐसे क्षेत्र हैं, जहां महिलाओं को उनके परिवार वालों या पार्टनर से हत्या का खतरा सबसे ज्यादा है। अफ्रीका में यह दर एक लाख महिलाओं के पीछे 3.1 है। यानी एक लाख महिलाओं में से 3.1 महिलाओं की हत्या उनके जानने वाले करते हैं। वहीं, अमेरिका में यह दर 1.6 है। यह दर सबसे कम यूरोप में है, जहां एक लाख महिलाओं में से 0.7 महिलाओं की हत्या उनके करीबियों द्वारा की जाती है।

समाधान

समस्या से निपटने के लिए नहीं उठाए गए ठोस कदम

UNODC के अनुसार, कानून और महिलाओं के खिलाफ हिंसा रोकने के तमाम कार्यक्रमों के बावजूद इस समस्या से निपटने के लिए ठोस प्रगति नहीं हुई है। संस्था ने संभावित पीड़ितों की सुरक्षा और उन्हे सशक्त बनाने पर जोर देते हुए कहा कि दोषियों को कड़ी सजा देने की जरूरत है। अध्ययन में कहा गया है कि न्यायिक व्यवस्था और पुलिस के बीच बेहतर सामंजस्य की जरूरत है। साथ ही बच्चों को भी जागरूक करने की बात कही गई है।