कोरोना वायरस: बिखरने की कगार पर है मुंबई की स्वास्थ्य व्यवस्था; क्या हैं आगे की तैयारियां?
क्या है खबर?
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित हुई है और शहर की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराने की कगार पर है।
एंबुलेंस और अस्पतालों में बेडों की कमी के कारण लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा और उनकी मौत हो जा रही है। मरीजों को बेड आपस में साझा करने पड़ रहे हैं और कई को जमीन पर लिटा दिया जा रहा है।
आइए आपको मुंबई की पूरी स्थिति के बारे में बताते हैं।
आंकड़े
क्या है मुंबई में कोरोना वायरस की स्थिति?
लगभग दो करोड़ की आबादी वाले मुंबई में अब तक कोरोना वायरस से संक्रमण के 47,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और लगभग 1,577 लोगों की मौत हुई हैं।
शहर के घनी आबादी और धारावी जैसी बड़ी झुग्गी बस्तियों के कारण शहर में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकना अपने-आप में एक बड़ी चुनौती है।
कोरोना वायरस ऐसे इलाकों में तेजी से फैलता है और यही कारण है कि मुंबई में इतनी बड़ी संख्या में मामले आए हैं।
एंबुलेंस
एंबुलेंस की भारी कमी, महज 100 सरकारी एंबुलेंस उपलब्ध
अब बात करते हैं मुंबई की स्वास्थ्य व्यवस्था की। कोरोना वायरस से संक्रमित गंभीर मरीजों को बचाने के लिए एंबुलेंस एक बेहद सामान्य जरूरत है, लेकिन मुंबई में इनकी भी बड़ी कमी है और लोगों को इसके कारण जान गंवानी पड़ रही है।
शहर में 108 हेल्पलाइन नंबर की महज 100 एंबुलेंस हैं और इनमें भी एक स्ट्रैचर के अलावा अन्य कोई सुविधा मौजूद नहीं है।
वहीं निजी एंबुलेंस अस्पताल तक जाने के लिए 10,000-12,000 रुपये ले रही हैं।
बेड की कमी
अस्पतालों में घंटों नहीं मिलते बेड
अगर अस्पतालों की बात करें तो यहां भी स्थिति एंबुलेंस जैसी है और मरीजों को घंटों बेड नहीं मिलते। मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच पिछले दिनों सरकारी अस्पतालों में बेडों की संख्या 3,500 से बढ़ाकर 6,500 की गई है।
हालांकि इसके लिए सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों से समझौता करना पड़ा है और बेडों के बीच की दूरी को कम करके जगह बनाई गई।
इसके अलावा एक बेड पर दो मरीजों को भी रखा गया है।
स्थिति
जहां हो रहा मरीजों का इलाज, वहीं रखे शव
मुंबई के अस्पतालों पर बोझ का ये आलम है कि अस्पतालों में जिस वार्ड में कोरोना वायरस मरीजों का इलाज हो रहा है, वहीं बगल में शव रखे हुए हैं। इसके अलावा कुछ अस्पतालों के कॉरिडोर में कोरोना वायरस मरीजों के शव यूं ही पड़े होने के वीडियो भी सामने आए।
संक्रमण का डर इतना है कि मरीजों के परिजन शवों को लेने अस्पताल नहीं आ रहे और शवगृह भर रहे हैं।
जानलेवा देरी
एंबुलेंस और बेड के फेर में फंसे मरीज
एंबुलेंस और बेडों की ये कमी किस तरीके से जानलेवा साबित होती है, इसके कई उदाहरण पिछले दिनों में सामने आए हैं।
मरीज के परिजन जब एंबुलेंस बुलाते हैं, तब अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं होते और जब अस्पताल में बेड उपलब्ध होते हैं तो एंबुलेंस उपलब्ध नहीं होती।
इसी घमासान में मरीज इलाज के लिए लेट हो जाते हैं और उनकी जान चली जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार, एक बेड मिलने में 12-16 घंटे लगते हैं।
उम्मीद की किरण
मुंबई में मामले दोगुने होने की रफ्तार हो रही कम
इस संकट के बीच उम्मीद की कुछ किरणें भी दिखी हैं। मुंबई में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने की रफ्तार में कमी आई है और अब लगभग 22 दिन में मामले दोगुने हो रहे हैं। मई की शुरूआत में ये आंकड़ा 10 दिन था।
बड़ी संख्या में ट्रेसिंग को इसका एक अहम कारण माना जा रहा है। बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के अनुसार, अब तक कोरोना संक्रमितों के 8.94 लाख हाई-रिस्क और लॉ-रिस्क संपर्कों को ट्रेस किया जा चुका है।
तैयारी
भविष्य की क्या है तैयारी?
मुंबई प्रशासन बड़ी संख्या में मामले आने की तैयारी भी कर रहा है। इसी अभियान के तहत निजी अस्पतालों के 80 प्रतिशत बेडों को सरकार ने अपने कब्जे में लिया है। इसके साथ शहर में ICU बेड की संख्या 530 से बढ़कर 1,165 हो गई है।
इसके अलावा बांद्रा में ICU बेड समेत लगभग 100 बेड का स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया है। वहीं गोरेगांव में और महीम नेचर पार्क में 1,200-1,200 बेड के COVID-19 केयर सेंटर्स बनाए जा रहे हैं।
अन्य तैयारियां
तैयार किए जा रहे एक लाख बेड
इसके अलावा शहर में स्टेडियमों से लेकर रेस कोर्स तक, सभी जगहों पर क्वारंटाइन केंद्र बनाए जा रहे हैं जिनकी क्षमता एक लाख बेड की होगी। इनमें ICU बेड और ऑक्सीजन सप्लाई की भी सुविधा उपलब्ध होगी और इनमें अधिकांश तौर पर हल्के लक्षणों वाले मरीजों का इलाज किया जाएगा।
इसके अलावा शहर के सभी 24 वार्ड में 100 बेड के नर्सिंग होम बनाने की भी योजना है। 75,000 प्राइवेट डॉक्टरों को भी तैयार रहने को कहा गया है।