
भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन महादेव' के जरिए कैसे किया पहलगाम हमले के आतंकी को ढेर?
क्या है खबर?
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में अप्रैल महीने में पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले के करीब 3 महीने बाद भारतीय सेना को बड़ी कामयाबी मिली है। सेना ने सोमवार को श्रीनगर दाचीगाम इलाके के लिडवास में महादेव पहाड़ी पर आतंकियों की सूचना मिलने के बाद 'ऑपरेशन महादेव' चलाकर 3 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया। इनमें पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड सुलेमान शाह उर्फ हाशिम मूसा भी शामिल है। आइए जानते हैं सेना ने किस तरह से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया।
ऑपरेशन
कैसे हुई 'ऑपरेशन महादेव' की शुरुआत?
जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) को रविवार को एक गुप्त सूचना मिली थी कि श्रीनगर और त्राल को जोड़ने वाले दाचीगाम के इलाके की महादेव पहाड़ियों के जंगलों में आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। इस सूचना के आधार पर सेना ने 'ऑपरेशन महादेव' शुरू कर सोमवार को सर्च अभियान चलाया था। इस अभियान में स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) और भारतीय सेना की 12 सिख लाइट इन्फैंट्री को शामिल किया गया था।
तकनीक
सेना ने ऑपरेशन में कैसे किया तकनीक का इस्तेमाल?
तलाशी अभियान के दौरान सेना ने ड्रोन और ह्यूमिंट (मानव खुफिया) से आतंकियों की लोकेशन ट्रैक की, जिसमें उनके महादेव पहाड़ी के एक दुर्गम क्षेत्र में मौजूद होने का पता चला। इसके बाद सेना ने पूरे इलाके को घेरकर ड्रोन और थर्मल इमेजिंग तकनीक की मदद से आतंकियों की गतिविधियाें पर नजर रखना शुरू कर दिया। इसके अलावा, जवानों ने इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) को निष्क्रिय करने के लिए रोबोटिक सिस्टम का इस्तेमाल किया।
ऑपरेशन
सेना ने कैसे किया आतंकियों का खात्मा?
सेना के सूत्रों के अनुसार, सोमवार सुबह सुरक्षाबलों को इलाके में देखकर आतंकी घबरा गए और उन्होंने जवानों पर गोलियां बरसाना शुरू कर दिया। इसके बाद सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए उन्हें करारा जवाब दिया। करीब 6 घंटे तक चली इस मुठभेड़ के बाद सेना ने 3 आतंकियों को मार गिराया। इस दौरान आतंकियों के पास से 17 ग्रेनेड, एक M-4 कार्बाइन, 2 AK-47 राइफलें और IED बरामद किए, जिनका इस्तेमाल आतंकियों ने पहलगाम हमले में किया था।
खासियत
क्या रही इस ऑपरेशन की खासियत?
इस ऑपरेशन की सबसे खास बात यह रही कि इसमें स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया। इसके लिए भारतीय सेना ने स्वदेशी ड्रोन और रडार का इस्तेमाल किया, जो जंगलों में छिपे आतंकियों को ढूंढने में मददगार रहे। इसी तरह मुठभेड़ में आम नागरिकों को नुकसान से बचाने के लिए पूरी सटीकता से काम किया गया। इसी तरह इस पूरे ऑपरेशन में सेना की खुफिया जानकारी पूरी तरह से पक्की निकली, जो उसके मुखबिर नेटवर्क की मजबूती को दर्शाती है।
योजना
अब क्या है आगे की योजना?
सेना अधिकारियों के अनुसार, मारे गए एक आतंकी पहचान पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड हाशिम मूसा के रूप में हुई है, लेकिन 2 अन्य की पहचान नहीं हो पाई है। खुफिया जानकारी के अनुसार, तीनों आतंकी लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से संबद्ध द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) से जुड़े पाकिस्तानी आतंकवादी हैं। इसी तरह इलाके में TRF के कई ठिकाने होने की भी सूचना मिली है। ऐसे में सेना ने अब पूरे इलाके में सर्च अभियान चलाने का निर्णय किया है।
पृष्ठभूमि
कैसे हुआ था पहलगाम में आतंकी हमला?
पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को पाकिस्तानी आतंकियों ने 26 निर्दोष पुरुष पर्यटकों का धर्म पूछकर हत्या कर दी थी। मृतकों में एक नेपाली नागरिक भी था। हमले में M4 कार्बाइन और AK-47 जैसे हथियारों का इस्तेमाल किया गया था। हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि निलंबित कर दी। इसके बाद 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाकर पाकिस्तान के अंदर 100 से अधिक आतंकियों को मारकर उनके ठिकानों को नष्ट कर दिया था।