साल में सरकार को दो बार मिली ऑक्सीजन की कमी की चेतावनी, लेकिन नहीं बदले हालात
देश के कई राज्यों में इन दिनों मेडिकल ऑक्सीजन की कमी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। कई अस्पतालों में ऑक्सीजन उपलब्ध न होने के कारण मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। यह हाल तब है जब सरकार को एक साल पहले इसकी चेतावनी मिल गई थी कि देश में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। इसके बाद नवंबर में एक बार फिर सरकार को ऐसी ही चेतावनी दी गई थी।
अप्रैल, 2020 की बैठक में उठा था मुद्दा
इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि एक अधिकार प्राप्त समूह ने 1 अप्रैल, 2020 को बताया था कि आने वाले दिनों में भारत में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। नीति आयोग के प्रमुख अमिताभ कांत के नेतृत्व में हुई इस बैठक में सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन, प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय समेत कई विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया था। इनके अलावा इसमें CII महानिदेशक समेत उद्योग जगत के कई बड़े नाम शामिल थे।
DPIIT को सौंपी गई थी ऑक्सीजन आपूर्ति की जिम्मेदारी
इंडियन एक्सप्रेस ने जब इस समूह की चेतावनी के बाद की गई कार्रवाई के बारे में बैठक में शामिल एक अधिकारी से पूछा तो उन्होंने कहा कि बैठक में तय किया गया था कि उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) ऑक्सीजन आपूर्ति के मामले को देखेगा। बैठक के चार दिन बाद ऑक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए DPIIT सचिव गुरुप्रसाद महापात्रा की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय समिति बनाई गई थी।
सितंबर में 3,000 मीट्रिक टन हुई थी मांग
अप्रैल के बाद कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या के साथ-साथ मेडिकल ऑक्सीजन की मांग भी बढ़ने लगी और 24-25 सितंबर को 3,000 मीट्रिक टन पहुंच गई। इस वक्त महामारी की पहली लहर अपने चरम पर थी। इसकी तुलना में महामारी की शुरुआत से पहले देश में रोजाना लगभग 1,000 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की खपत होती थी। हालांकि, रोजाना 6,900 मीट्रिक टन उत्पादन के चलते उस समय खतरे की घंटी नहीं बजी थी।
नंवबर में सौंपी गई थी मेडिकल ऑक्सीजन को लेकर रिपोर्ट
स्वास्थ्य पर बनी संसद की स्थायी समिति ने भी मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता और दामों का मुद्दा उठाते हुए सरकार से इसका उत्पादन बढ़ाने और मांग के अनुरूप इसकी आपूर्ति करने को कहा था। अक्टूबर में हुई समिति की एक बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कोरोना वायरस के इलाज में ऑक्सीजन के इस्तेमाल और इसके सकारात्मक फायदों के बारे में बताया था। इसके बाद संबंधित विभाग के मेडिकल ऑक्सीजन के सिलेंडर की कीमत तय करने को कहा गया था।
चेतावनियों के बावजूद आपूर्ति में भारी कमी
इन बैठकों के बाद समिति ने स्वास्थ्य मंत्रालय को उचित दामों की सीमा के साथ ऑक्सीजन सिलेंडरों की पर्याप्त आपूर्ति की सिफारिश की थी। इन सब सिफारिशों और चेतावनियों के बाद भी आज देश को ऑक्सीजन की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
"इस दिशा में पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए"
पुणे में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जरूरी संसाधन जुटाने के लिए बनाए गए संगठन के एक अधिकारी कहते हैं कि देश में मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन और आपूर्ति बढ़ाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए हैं। पहली लहर से पता चलता है कि ऑक्सीजन मरीजों की जान बचाने के लिए कितनी जरूरी है। यह सच है कि नया उत्पादन संयंत्र बनाने में समय लगता है, लेकिन पांच-छह महीनों में इस दिशा में आपातकालीन इंतजाम किए जा सकते थे।