#NewsBytesExplainer: वायुसेना के कैप्टन का कोर्ट मार्शल क्यों हुआ और अब उनके पास क्या है विकल्प?
भारतीय वायुसेना के जनरल कोर्ट मार्शल (GCM) ने ग्रुप कैप्टन सुमन रॉय चौधरी को सेवा से बर्खास्त करने का आदेश सुना दिया है। बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद जम्मू-कश्मीर के बडगाम में अपने ही एक Mi-17 V5 हेलीकॉप्टर को निशाना बनाकर मार गिराने के आरोप में कैप्टन चौधरी दोषी पाए गए हैं। उस वक्त वह श्रीनगर वायुसेना स्टेशन के चीफ ऑपरेशन ऑफिसर (CCO) थे। आइए जानते हैं यह पूरा मामला क्या है और अब कैप्टन चौधरी का क्या होगा।
क्या था मामला?
दरअसल, 27 फरवरी, 2019 को श्रीनगर वायुसेना स्टेशन के COO चौधरी के आदेश पर वायुसेना ने अपनी ही मिसाइल ने Mi-17 V5 हेलीकॉप्टर को निशाना बनाया था। उस समय वह हेलीकॉप्टर वापस श्रीनगर लौट रहा था। यह हमला बडगाम में सुबह 10 बजे के करीब हुआ था, जिसमें 6 वायुसेना कर्मियों और एक स्थानीय नागरिक की मौत हो गई थी। इस मामले में पहले कोर्ट ऑफ इंक्वायरी हुई थी और इसके बाद ही GCM गठित हुई थी।
कैप्टन चौधरी को कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में पाया गया था दोषी
कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में कैप्टन चौधरी को दोषी पाया गया था, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने बिना हेलीकॉप्टर की पहचान किये उस पर हमला करने का आदेश दिया था। इस दौरान रडार सिस्टम भी बंद था, जिससे हेलीकॉप्टर की पहचान हो पाती। इंक्वायरी के बाद अक्टूबर, 2019 में तत्कालीन वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने कहा था, "ये हमारी बहुत बड़ी गलती थी। हमारी मिसाइल ने ही Mi-17 V5 हेलीकॉप्टर को मार गिराया था।"
वायुसेना GCM के खिलाफ कोर्ट में याचिका
वायुसेना GCM के आदेश पर रोक के लिए कैप्टन चौधरी ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट याचिका दायर की है। ऐसे में जब तक कोर्ट इस मामले में फैसला नहीं सुनाएगा तब तक वायुसेना GCM के आदेश लागू नहीं कर सकती है। हालांकि, कोर्ट मार्शल के आदेश के बाद वायुसेना प्रमुख से भी मंजूरी लेनी होती है, लेकिन वायुसेना प्रमुख भी कोर्ट मार्शल के आदेश पर तभी कोई फैसला कर सकते हैं जब तक कोर्ट से कोई फैसला नहीं आ जाता।
दोष सिद्ध होने पर क्या हैं विकल्प?
सेना अधिनियम, 1950 की धारा 164 के तहत आरोपी के पास आरोप सिद्ध होने से पहले और आरोप सिद्ध होने के बाद दो याचिका दायर करने का अधिकार है। ऐसे में आरोप सिद्ध होने से पहले यह याचिका सैन्य प्रमुख के पास जाती है और जो इस मामले पर हस्तक्षेप कर सकते हैं। इसी तरह आरोप सिद्ध होने और नौकरी के बर्खास्तगी के बाद उसकी याचिका पर सरकार कोई निर्णय ले सकती है।
ये भी है अंतिम विकल्प
इन दोनों विकल्पों के समाप्त होने के बाद आरोपी अपने खिलाफ लगे आरोपों को लेकर आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल में अपील कर सकता है। इस ट्रिब्यूनल के पास GCM के आदेश को निलंबित करने का अधिकार होता है।
भारतीय वायुसेना ने क्यों की थी बालाकोट एयर स्ट्राइक?
भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी, 2019 की रात पाकिस्तान के बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े आतंकी ट्रेनिंग कैंप पर एयर स्ट्राइक की थी, जिसके बाद दोनों देशों के बीच काफी तनाव बढ़ गया है। दरअसल, 14 फरवरी को जैश के फिदायीन आतंकी आदिल अहमद डार ने CRPF के काफिले पर विस्फोटकों से भरी गाड़ी से हमला किया था, जिसमें 40 जवान शहीद हुए थे। इसी आतंकी हमले का बदला लेने के लिए यह भारतीय वायुसेना ने एयरस्ट्राइक की थी।
क्या होता है कोर्ट मार्शल?
सेना अधिनियम के अनुसार, जब कोई सैन्य जवान या अधिकारी नियमों का उल्लंघन करता है या देश विरोधी अन्य गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है तो उसे खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्रवाई की जाती है। सैन्य कर्मचारी पर आरोपों के लेकर कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के बाद विशेष कोर्ट गठित होती है, जिसमें सैन्य विरोध गतिविधियों के खिलाफ केस चलाया जाता है। इस अधिनियम में 70 तरह के अपराधों के लिए सजा का प्रावधान है।
कितने प्रकार का होता है कोर्ट मार्शल और कितनी मिलती है सजा?
दरअसल, कोर्ट मार्शल 4 प्रकार का होता है, जिसमें जनरल कोर्ट मार्शल, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट मार्शल, समरी जनरल कोर्ट मार्शल और समरी कोर्ट मार्शल शामिल है। इसमें आरोपी व्यक्ति का प्रमोशन, वेतन पर रोक और उसे दी गई रैंक को घटाया जा सकता है। इसके अलावा उसे नौकरी से बर्खास्त और सैन्य सेवा के बाद भविष्य मिलने वाले लाभों से वंचित किया जा सकता है। संगीन आरोपों में जुर्माने के साथ फांसी से लेकर उम्रकैद तक सजा का प्रावधान भी है।