तमिलनाडु के 5 कलेक्टरों को ED के समन पर रोक, मद्रास हाई कोर्ट ने बताया गैरकानूनी
मद्रास हाई कोर्ट की ओर से प्रवर्तन निदेशालय (ED) को झटका लगा है। हाई कोर्ट ने तमिलनाडु के 5 कलेक्टरों को जारी ED के समन पर रोक लगा दी है। ये मामला राज्य में कथित अवैध रेत खनन से जुड़ा हुआ है। ED ने 5 जिलों के कलेक्टर को समन जारी करते हुए अपने-अपने जिलों में रेत खनन के आंकड़ों के साथ अलग-अलग तारीखों पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा था।
समन पर 3 हफ्ते तक रोक
हाई कोर्ट ने समन पर 3 हफ्ते तक रोक लगाई है। सुनवाई के दौरान कलेक्टर की तरफ से पेश हुए वकील ने तर्क दिया था कि ED को समन जारी करने का अधिकार नहीं है। वकील ने कहा था, "खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम में मनी लॉन्ड्रिंग अपराध नहीं है और इस मामले में ED के पास शक्तियां नहीं है।" दलील को स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने समन को गैरकानूनी करार दिया।
क्या है मामला?
ED का कहना है कि तमिलनाडु में 2 साल में अवैध खनन की गई रेत का कुल विक्रय मूल्य 4,730 करोड़ रुपये था, जबकि राजस्व में इसे केवल 36.45 करोड़ रुपये बताया गया। ED इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत जांच की मांग कर रही है। इस संबंध में ED ने अरियालुर, वेल्लोर, तंजौर, करूर और तिरूचिरापल्ली के कलेक्टरों को समन जारी कर पेश होने को कहा था। इसके खिलाफ कलेक्टरों ने हाई कोर्ट का रुख किया था।
समन के पीछे ED ने दिया था ये तर्क
सुनवाई के दौरान ED ने कहा था कि तमिलनाडु में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है, जो भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 417, 418, 419, 420, 471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध है क्योंकि इसमें अधिकारी भी शामिल हैं। ED ने तर्क दिया है कि वह निजी व्यक्तियों और सरकारी अधिकारियों दोनों को तलब कर सकती है और धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत उसे ये अधिकार है।
न्यूजबाइट्स प्लस
विपक्ष शासित राज्यों में ED की कार्रवाई पर सवाल उठते रहे हैं। इस मामले में भी तमिलनाडु सरकार का कहना है कि गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है, लेकिन वहां कोई कार्रवाई नहीं हुई। चुनावों से पहले राजस्थान में कांग्रेस नेताओं को ED के समन पर भी विवाद हुआ था। दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और कर्नाटक की सरकारें भी ED पर इस तरह के आरोप लगाती हैं।