बजट: सरकार ने रखा सिकल सेल एनीमिया को खत्म करने का लक्ष्य, क्या है यह बीमारी?
बुधवार को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2047 तक सिकल सेल एनीमिया को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा और इससे प्रभावित जनजातीय इलाकों में 0-40 साल के आयुवर्ग के सात करोड़ लोगों की जांच की जाएगी। देश में 1970 के दशक से यह बीमारी फैलनी शुरू हुई थी और आज करोड़ों लोग इससे पीड़ित हैं। आइये इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
सिकल सेल एनीमिया क्या होता है?
सिकल सेल एनीमिया खून से जुड़ी एक बीमारी है, जिसमें रेड ब्लड सेल्स (RBC) प्रभावित होती हैं। यह खून से जुड़ी बीमारियों के समूह सिकल सेल का एक हिस्सा है। इस बीमारी में रेड ब्लड सेल्स गोलाकार आकार से बदलकर हंसिये के आकार की बन जाती हैं। इससे संक्रमित होने पर ब्लड सर्कुलेशन के साथ पर्याप्त RBC का प्रवाह नहीं होता, जिससे टिश्यूज तक उचित मात्रा में ऑक्सीजन नहीं जा पाती और पीड़ित व्यक्ति को एनीमिया हो जाता है।
इसके लक्षण क्या हैं?
सिकल सेल एनीमिया होने 10-20 दिनों में RBCs खत्म हो जाती हैं। इस कारण शरीर को थकावट महसूस होते रहती है। पीड़ित व्यक्ति को छाती, पेट और जोड़ों में दर्द होता है, जो कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक रह सकता है। इसके अलावा इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के हाथों और पैर में सूजन रह सकती है और उनके जल्दी बीमार होने की आशंका रहती है। RBCs की कमी के चलते बच्चों का विकास प्रभावित हो सकता है।
ये हैं दूसरे लक्षण
कई बच्चों अनुवांशिक तौर पर इस बीमारी से पीड़ित होते हैं। ऐसा भी हो सकता है कि उनमें कुछ महीनों तक इस बीमारी का एक भी लक्षण नजर न आए। शरीर में RBCs खत्म होने के बाद 120 दिनों में इन्हें बदलनी पड़ती हैं। कई बार मरीजों में खून बनना बंद हो जाता है और उन्हें बार-बार खून चढ़ाना पड़ता है। इस बीमारी के कारण कुछ मरीजों की नजर भी कमजोर हो जाती है।
क्या इसका इलाज उपलब्ध है?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सिकल सेल एनीमिया का इलाज उपलब्ध नहीं है। हालांकि, स्टेम सेल और बोन मैरो ट्रांसप्लांट के जरिये इसका असर कम किया जा सकता है, लेकिन इसमें जोखिम ज्यादा होता है। जनजातीय मंत्रालय के अनुसार, भारत की जनजातीय आबादी में इस बीमारी का प्रकोप ज्यादा है और हर 86 में से एक बच्चा इससे पीड़ित होता है। इससे पीड़ित लोगों की मदद के लिए मंत्रालय ने एक पोर्टल शुरू किया था।
भारत में करोड़ों लोग इस बीमारी से पीड़ित
रिपोर्ट्स के अनुसार, देश की 3 प्रतिशत जनजातीय आबादी इस बीमारी से पीड़ित है। इसके अलावा बड़ी संख्या में ऐसे मरीज भी हैं, जिनके जीन से यह बीमारी अगली पीढ़ी तक फैल सकती है। इस पर नियंत्रण पाने के लिए केंद्र सरकार ने 2018 में एनीमिया मुक्त भारत की रणनीति तैयार की थी। इसमें पोषण अभियान, टेस्टिंग और डिजिटल तरीकों से जागरूकता बढ़ाने की कोशिश की गई। अब सरकार ने इस बीमारी को खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।