मोदी सरकार को इस महीने मिलेंगी स्विस बैंक में पैसा जमा करने वाले भारतीयों की जानकारियां
जिन भारतीयों के अकाउंट स्विस बैंकों में हैं, उनकी जानकारियां केंद्र सरकार को इसी महीने से मिलना शुरू हो जाएंगीं। भारत और स्विट्जरलैंड की सरकारों के बीच इन अकाउंट्स की जानकारी साझा करने का समझौता हुआ था, जो आज 1 सितंबर से लागू हो रहा है। मोदी सरकार काले धन के खिलाफ अपनी लड़ाई में इसे एक बड़ी जीत के तौर पर पेश करना चाहेगी, जोकि 2014 लोकसभा चुनाव में उसका मुख्य वादा था।
2016 में हुआ था स्विट्जरलैंड सरकार से समझौता
दरअसल, 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने काले धन को एक बड़ा मुद्दा बनाया था। पार्टी ने विदेशों से काला धन वापस लाने और जिन भारतीयों के नाम अकाउंट स्विस बैंकों में हैं, उनका नाम सार्वजनिक करने का वादा किया था। इस वादे की पूर्ति के लिए 22 नवंबर 2016 को भारत सरकार ने स्विट्जरलैंड के साथ बैंक अकाउंट्स की जानकारी के लेनदेन का समझौता दिया था। ये समझौता आज से प्रभावी होने जा रहा है।
जिन्होंने बंद किए अकाउंट, उनकी जानकारी भी मिलेगी
आयकर विभाग ने मामले पर कहा, "भारत को स्विट्जरलैंड में भारतीय नागरिकों के बैंक अकाउंट्स संबंधी साल 2018 की जानकारियां मिलेंगी। स्विस बैंकों की गोपनीयता का दौर आखिरकार खत्म होने जा रहा है।" खबरों के अनुसार, भारत सरकार को भारतीय नागरिकों के उन अकाउंट्स की भी जानकारी मिल सकेगी जिन्हें 2018 में बंद कर दिया गया। इसे लेकर दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों के बीच 29 और 30 अगस्त को बैठक हुई।
इन वजहों से स्विस बैंकों में अपना धन जमा करते हैं भारतीय
भारतीय नागरिकों के स्विस बैंकों में अकाउंट खोलने के दो मुख्य कारण हैं। पहला ये कि वहां बहुत कम टैक्स लगता है। दूसरा ये कि स्विस बैंक अपने ग्राहकों की जानकारी किसी से साझा नहीं करते और पूरी गोपनीयता बनाकर रखते हैं। इस तरह से काला धन छिपाने वाले व्यक्तियों की पहचान गुप्त रहती है। हालांकि पिछले कुछ सालों में इस स्थिति में बदलाव आया है और भारत सहित कई देशों के साथ जानकारी साझा करने का समझौता हुआ है।
विदेशों में काले धन पर नहीं है कोई स्पष्ट और सर्वमान्य आंकड़ा
विदेशों और स्विस बैंकों में भारतीयों का कितना काला धन जमा है, इसे लेकर अलग-अलग आंकड़े हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, 1980 से 2010 के बीच 30 साल के दौरान भारतीयों ने 246 अरब डॉलर से लेकर 490 अरब डॉलर धन विदेशों में जमा किया। इस बीच मोदी सरकार की काले धन को लेकर सख्ती के कारण कई भारतीयों ने स्विस बैंकों में अकाउंट्स बंद कर दिए थे। इससे स्विस बैंकों में जमा रकम में कमी आई थी।