यौन उत्पीड़न के आरोपों से बरी हुए तरुण तेजपाल, गोवा फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनाया फैसला
समाचार मैगजीन तहलका के पूर्व एडिटर इन चीफ तरुण तेजपाल यौन उत्पीड़न के मामले में बड़ी राहत मिली है। गोवा की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने शुक्रवार को उन्हें यौन उत्पीड़न के आरोपों से बरी कर दिया है। तेजपाल पर 2013 में गोवा के एक लग्जरी होटल में लिफ्ट के भीतर एक महिला सहकर्मी से यौन उत्पीड़न करने का आरोप था। उन्हें उसी साल 30 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन मई 2014 में उन्हें जमानत मिल गई थी।
सबसे पहले जानते हैं कौन है तरुण तेजपाल?
तेजपाल भारत के प्रसिद्ध पत्रकारों में से एक हैं। उन्होंने साल 2000 में तहलका पत्रिका शुरू की थी। इस पत्रिका ने बहुत ही कम समय में लोकप्रियता हासिल कर ली थी। स्टिंग ऑपरेशन तहलका की विशेषता थी। तहलका ने साल 2001 में ऑपरेशन वेस्ट एंड-के नाम से सबसे बड़ा स्टिंग ऑपरेशन किया था। इसमें सेना के अधिकारियों, नौकरशाहों और भाजपा अध्यक्ष को हथियारों की बड़ी डील कराने के लिए घूस लेते हुए कैमरे में क़ैद किया गया था।
क्या है तेजपाल के खिलाफ चला यौन उत्पीड़न का मामला?
बता दें 8 नवंबर, 2013 में गोवा के एक फाइव स्टार होटल में तहलका मैगजीन के कार्यक्रम के दौरान एक युवा महिला सहकर्मी ने तेजपाल पर होटल की एक लिफ्ट में यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। इसके बाद 22 नवंबर को गोवा पुलिस ने तेजपाल के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर लिया था। तेजपाल 28 नवंबर को गोवा वापस लौटे और अंतरिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद 30 नवंबर को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
इन धाराओं में दर्ज किया था तेजपाल के खिलाफ मामला
बता दें कि गोवा पुलिस ने तेजपाल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 341, 342, 354, 354-A, 354-B, 376 (2) (F) (महिला से ऊंचे पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा बलात्कार) और 376 (2) (K) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
साल 2014 में मिली तेजपाल को जमानत
गिरफ्तारी के बाद 19 मई, 2014 को तेजपाल को अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी, लेकिन उसके बाद जुलाई में उन्हें पूरी तरह से जमानत मिल गई और वह तब से ही जेल से बाहर हैं। इसके बाद सितंबर 2017 में मापुसा कोर्ट ने तेजपाल के खिलाफ जूनियर सहकर्मी के साथ उत्पीड़न के मामले में आरोप तय किए। हालांकि, तेजपाल ने खुद को निर्दोष बताया और मामले की सुनवाई शुरू हुई।
कोरोना वायरस हामारी के कारण फैसला सुनाने में हुई देरी
मामले में गोवा पुलिस ने 3,000 पन्नों का आरोपपत्र दायर किया था। सुनवाई में कुल 70 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे। मामले में पहले 27 अप्रैल और फिर 19 मई को फैसला सुनाया जाना था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण देरी हो गई।
महिला सहकर्मी ने झूठे मामले में फंसाया था- तेजपाल
कोर्ट से बरी होने के आदेश के बाद तरुण तेजपाल ने कहा, "नवंबर 2013 में मुझे एक महिला सहकर्मी ने यौन उत्पीड़न के झूठे मामले में फंसाया था और आज गोवा में सैशन न्यायाधीश की ट्रायल कोर्ट ने मुझे बरी कर दिया। यह सच्चाई की जीत है।" इस दौरान उन्होंने अपने वकील राजीव गोम्स की पिछले सप्ताह कोरोना संक्रमण से मौत होने को लेकर उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि वह अपने शानदार करियर के शीर्ष पर थे।
तेजपाल ने न्यायाधीश क्षमा जोशी को दिया धन्यवाद
बरी होने के बाद तेजपाल ने कहा, "नवंबर 2013 में एक सहकर्मी द्वारा मुझ पर यौन उत्पीड़न का झूठा आरोप लगाया गया था। आज गोवा में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश क्षमा जोशी की माननीय ट्रायल कोर्ट ने मुझे सम्मानपूर्वक बरी कर दिया है। भयानक रूप से उम्र के इस पड़ाव में जहां साधारण साहस दुर्लभ हो गया है, सच्चाई के साथ खड़े होने के लिए मैं न्यायाधीश का धन्यवाद करता हूं।" उन्होंने साथ निभाने वाले लोगों को भी धन्यवाद दिया।